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श्रीकृष्ण लीला से भक्तिमय हुआ गढ़वा: श्रीमद्भागवत संगीतमय कथा के पांचवें दिन उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

#गढ़वा #धार्मिक_आस्था : श्रीकृष्ण की बाललीला से लेकर गोवर्धन पर्वत उठाने तक के प्रसंगों ने कथा स्थल को किया भक्तिमय — दौलत सोनी सपरिवार हुए शामिल

गढ़वा में श्रीमद्भागवत कथा का आध्यात्मिक संगम

गढ़वा शहर में चल रही सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत संगीतमय कथा के पांचवें दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और श्रीकृष्ण लीला के अद्भुत प्रसंगों ने पूरे कथा स्थल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल के संयोजन में आयोजित इस आयोजन में वृंदावन से पधारे आचार्य पं. कुंज बिहारी शुक्ला जी महाराज एवं उनकी मंडली ने बाललीला, माखन चोरी, राधा-कृष्ण प्रेम लीला और गोवर्धन पर्वत उठाने जैसे प्रसंगों का संगीतबद्ध भावपूर्ण वर्णन किया।

कथा का आयोजन 10 जुलाई से 16 जुलाई तक, प्रतिदिन दोपहर 3:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक किया जा रहा है, जो गढ़वा के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में एक नई चेतना का संचार कर रहा है।

दौलत सोनी की सपरिवार श्रद्धामयी उपस्थिति

इस अवसर पर गढ़वा के युवा समाजसेवी दौलत सोनी और संध्या सोनी अपने परिवार के साथ कथा स्थल पहुंचे और पंडित शुक्ला जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। उनकी पारिवारिक सहभागिता ने श्रद्धालुओं के बीच संस्कार, संस्कृति और सनातन परंपरा के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक प्रस्तुत किया।

कथा में भक्ति, भजन और भावनाओं की लहर

कथा के दौरान जब श्रीकृष्ण की बाललीलाएं, गोवर्धन धारण और श्रीराम कथा की झलकियाँ प्रस्तुत की गईं, तो पूरा माहौल “राधे-राधे” और “हरे कृष्णा” के जयकारों से गूंज उठा। आरती और पुष्पांजलि के कार्यक्रम में भक्तजन भजन संध्या में झूम उठे, और भक्ति में डूब गए।

श्रद्धालुओं की उल्लेखनीय भागीदारी

इस भव्य आयोजन में नगर और ग्रामीण क्षेत्रों से लगभग 1000 श्रद्धालु शामिल हुए। प्रमुख उपस्थित श्रद्धालुओं में अरविंद तिवारी, श्याम दुबे, प्रभु दुबे, शंभू दुबे, दिलीप तिवारी, आनंद तिवारी, जितेंद्र यादव, सियाराम पांडे, संजय कुमार, सुरेश दुबे, आनंद रमाकांत उपाध्याय, अरुण दुबे, बृजेश कुमार पांडे, उमेश कश्यप, विकास कुमार समेत अनेक श्रद्धालु शामिल रहे।

न्यूज़ देखो: आध्यात्मिकता और संस्कृति का संगम

गढ़वा में चल रही यह श्रीमद्भागवत कथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक पुनर्जागरण है। प्रत्येक दिन की कथा लोगों को भक्ति, संस्कृति और आत्मिक संतुलन की ओर अग्रसर कर रही है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

धर्म और संस्कार से ही बनता है सभ्य समाज

आइए, हम सभी मिलकर ऐसे आयोजनों का हिस्सा बनें और अपनी नई पीढ़ी को भी धर्म, आस्था और संस्कृति से जोड़ें। यह केवल परंपरा नहीं, समाज को जोड़ने और ऊर्जावान बनाने का माध्यम है।

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