
#गढ़वा – वीर शहीद नीलांबर-पीतांबर के बलिदान को नमन, भव्य मेले का आयोजन:
- भंडरिया प्रखंड के अंडा महुआ में नीलांबर-पीतांबर की प्रतिमा पर माल्यार्पण।
- 166वें शहादत दिवस पर बैगा पाहन व वंशजों ने की विधिवत पूजा-अर्चना।
- छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
- अगले वर्ष 2026 में 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापना की घोषणा।
- कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग, केंद्रीय सदस्य व जिला अध्यक्ष शामिल।
नीलांबर-पीतांबर के बलिदान को याद कर भावुक हुआ समाज
गढ़वा : वीर शहीद नीलांबर-पीतांबर के 166वें शहादत दिवस के अवसर पर खरवार आदिवासी एकता कमेटी भंडरिया के तत्वावधान में अंडा महुआ स्थित प्रतिमा स्थल पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान समाज के लोगों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर वीर शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम के तहत प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों से आए बैगा-पाहन और नीलांबर-पीतांबर के वंशजों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा कर शहीदों को नमन किया। इसके उपरांत भव्य मेले का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे शामिल हुए।

मुख्य अतिथि ने किया शहीदों को नमन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राज्य के बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने नीलांबर-पीतांबर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने कहा—
“अंग्रेजों के खिलाफ नीलांबर-पीतांबर का संघर्ष अमर रहेगा। 1859 में उन्हें षड्यंत्र के तहत फांसी दी गई थी, लेकिन उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया।”
उन्होंने झारखंड में शहीद नीलांबर-पीतांबर के नाम पर बने विश्वविद्यालयों और उद्यानों की भी जानकारी दी।
2026 में बनेगी 25 फीट ऊंची प्रतिमा
खरवार आदिवासी एकता कमेटी के केंद्रीय सदस्य विश्वनाथ सिंह खरवार ने घोषणा की कि अगले वर्ष 2026 में शहीद नीलांबर-पीतांबर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस घोषणा से कार्यक्रम में उत्साह देखने को मिला।
आयोजन को सफल बनाने में रही महत्वपूर्ण भूमिका
कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक कुंवर सिंह ने की। आयोजन को सफल बनाने में लव कुमार सिंह, अरुण सिंह, अर्जुन सिंह, तिलेश्वर सिंह, रामवीर सिंह, बहादुर सिंह, भरत सिंह, राजू रंजन सिंह सहित कई समाजसेवियों ने अहम भूमिका निभाई।

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वीर शहीद नीलांबर-पीतांबर के संघर्ष और बलिदान को याद करना हमारी संस्कृति और इतिहास को सहेजने जैसा है। इस प्रकार के आयोजन युवा पीढ़ी को प्रेरणा देते हैं और गौरवशाली इतिहास से जोड़ते हैं।
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