
#गढ़वा #स्थानीय_पर्यटन : एसडीएम संजय कुमार ने बूढीखांड मंदिर प्रक्षेत्र का किया निरीक्षण, ग्रामीणों के साथ साझा की विकास की रूपरेखा
- एसडीएम संजय कुमार ने बूढीखांड हनुमान मंदिर प्रक्षेत्र का भ्रमण किया।
- कोयल और बांकी नदी के संगम स्थल पर आयोजित बैठक में स्थानीय लोगों से संवाद किया गया।
- पर्यटन विकास और इको टूरिज्म पहल के तहत क्षेत्र को विकसित करने पर जोर।
- ग्रामीणों ने मकर संक्रांति मेले और स्थानीय परंपराओं की जानकारी दी।
- प्राकृतिक संपदा संरक्षण को लेकर ग्रामीणों ने लिया संकल्प।
गढ़वा के सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बूढीखांड हनुमान मंदिर परिसर का दौरा किया। यह स्थल कोयल और बांकी नदी के संगम पर स्थित है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था के कारण प्रसिद्ध है। एसडीएम ने यहां ग्रामीणों के साथ बैठक कर स्थानीय पर्यटन की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन विभाग या वन विभाग की इको टूरिज्म पहल के तहत सामूहिक प्रयासों से बड़े स्तर पर विकास किया जा सकता है।
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक पहचान का संगम
एसडीएम ने कहा कि दो नदियों के संगम और खूबसूरत पहाड़ी की तलहटी पर स्थित यह स्थल अपने आप में अद्भुत है। यहां की हरियाली, स्वच्छ वातावरण और धार्मिक महत्ता इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना सकती है। उन्होंने कहा कि अगर स्थानीय समुदाय आगे आए और प्रशासनिक सहयोग मिले, तो बूढीखांड मंदिर परिसर को एक स्थानीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है।
एसडीएम संजय कुमार ने कहा: “प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक विरासत हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी पूंजी है। इसे संरक्षित रखते हुए हम पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकते हैं।”
ग्रामीणों की भागीदारी और सुझाव
बैठक में मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों और गणमान्य नागरिकों ने भी अपने सुझाव साझा किए। कई लोगों ने बताया कि मकर संक्रांति के अवसर पर यहां भव्य मेला आयोजित होता है, जिसमें आसपास के दर्जनों गांवों से श्रद्धालु और पर्यटक एकत्रित होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस मेले को प्रशासनिक सहयोग और संरचना विकास मिले, तो यह आयोजन स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
एक ग्रामीण ने कहा: “हम चाहते हैं कि बूढीखांड की पहचान सिर्फ धार्मिक स्थल तक सीमित न रहे, बल्कि इसे झारखंड के सुंदर पर्यटन स्थलों में शामिल किया जाए।”
पर्यावरण संरक्षण पर जोर
एसडीएम ने बैठक के दौरान ग्रामीणों से नदी तट की बालू, वन संपदा और प्राकृतिक खनिज संपदा के संरक्षण का संकल्प भी दिलाया। उन्होंने कहा कि अगर लोग जागरूक रहेंगे तो पर्यटन विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों एक साथ संभव हैं। इस दौरान स्थानीय युवाओं ने मंदिर परिसर की सफाई और वृक्षारोपण अभियान चलाने का भी प्रस्ताव रखा।
प्रशासन और समुदाय के बीच सहयोग की पहल
एसडीएम ने कहा कि प्रशासन हर संभव तरीके से इस क्षेत्र के विकास में सहयोग देने को तैयार है। उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे क्षेत्र की स्वच्छता, व्यवस्था और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाएं। इस तरह के प्रयासों से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि गढ़वा जिले की सांस्कृतिक पहचान भी और सशक्त होगी।



न्यूज़ देखो: प्राकृतिक धरोहर को पर्यटन से जोड़ने की पहल
बूढीखांड मंदिर परिसर में एसडीएम की पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह दर्शाती है कि प्रशासनिक दृष्टि अब स्थानीय सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदाओं को सशक्त करने की ओर है। यह प्रयास न केवल पर्यटन के नए द्वार खोलेगा बल्कि ग्रामीणों के आर्थिक सशक्तिकरण में भी योगदान देगा।
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अपनी धरती, अपनी जिम्मेदारी
बूढीखांड की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक पहचान हमारी साझा धरोहर है। इसे सहेजना और आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है। प्रशासन और समाज मिलकर इस क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान दिला सकते हैं।
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