
#गढ़वा #कृषकमित्रमांगपत्र : कांडी प्रखंड के कृषक मित्रों ने विश्रामपुर विधायक नरेश प्रसाद सिंह से मिलकर 15 वर्षों की सेवाओं के बदले सम्मानजनक मानदेय की मांग रखी — कई विभागों में कार्यरत होने के बावजूद नहीं मिल रही समुचित पारिश्रमिक
- कृषक मित्र आत्मा परियोजना के तहत 15 वर्षों से कर रहे कार्य
- कई विभागों में अतिरिक्त जिम्मेदारियों का भी निर्वहन
- सरकार द्वारा मानदेय को लेकर नहीं है कोई ठोस पहल
- प्रखंड अध्यक्ष इमामुद्दीन खान के नेतृत्व में सौंपा गया मांगपत्र
- नीरज द्विवेदी, संजय चौबे सहित कई कृषक मित्र रहे उपस्थित
विधायक से की मुलाकात, सौंपा गया मांगपत्र
गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड के कृषक मित्रों ने मंगलवार, 10 जून 2025 को विश्रामपुर विधायक नरेश प्रसाद सिंह से शिष्टाचार मुलाकात की और एक गंभीर मांगपत्र सौंपा। कृषक मित्र संघ के प्रखंड अध्यक्ष इमामुद्दीन खान के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने विधायक को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए कहा कि उन्हें सम्मानजनक मानदेय नहीं दिया जा रहा।
आत्मा परियोजना से शुरू हुआ योगदान, अब कई विभागों में सक्रिय
प्रखंड अध्यक्ष इमामुद्दीन खान ने जानकारी दी कि कृषक मित्रों की बहाली आत्मा परियोजना के प्रचार-प्रसार के लिए हुई थी। लेकिन पिछले 15 वर्षों में वे कृषि विभाग, सहकारिता विभाग, भूमि संरक्षण विभाग, पशुपालन विभाग, गव्य विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, मनरेगा आपदा विभाग, उद्यान विभाग, बीएलओ (चुनाव कार्य) और योजना बनाओ अभियान जैसी कई योजनाओं में भी निर्बाध सेवा देते रहे हैं।
इसके बावजूद सरकार द्वारा इन्हें सम्मानजनक मानदेय नहीं दिया गया है, जिससे उनके मनोबल पर असर पड़ रहा है।
मांग को लेकर लामबंद हुए कृषक मित्र
विधायक को सौंपे गए मांगपत्र में शामिल प्रमुख कृषक मित्रों में नीरज कुमार द्विवेदी, राकेश कुमार, संदीप कुमार ठाकुर, संजय कुमार चौबे, शंभु पासवान, दिलीप कुमार, विकास कुमार सिंह, रिशु रंजन उपाध्याय, राजकिशोर यादव, भोला मेहता, पवन कुमार मेहता सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
इनका कहना है कि सरकार को इस दिशा में गंभीरता दिखाते हुए उन्हें एक निश्चित, सम्मानजनक पारिश्रमिक देने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि वे और बेहतर सेवा दे सकें।
न्यूज़ देखो: 15 वर्षों की सेवा के बाद भी उपेक्षा का शिकार
न्यूज़ देखो ऐसे जमीनी मुद्दों को सामने लाकर प्रशासन और सरकार को उनकी ज़िम्मेदारी का एहसास कराता है। कृषक मित्रों की वर्षों की सेवा और बहु-विभागीय कार्यों के बावजूद उन्हें उचित मानदेय न मिलना प्रशासनिक असंवेदनशीलता का प्रतीक है। जब तक इन जैसे जमीनी कार्यकर्ताओं को मान-सम्मान और आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक योजनाओं की जड़ें गहराई तक नहीं पहुंचेंगी।
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