Garhwa

गढ़वा: झारोटेफ ने महिला कर्मियों के विशेष आकस्मिक अवकाश संशोधन का किया विरोध

#गढ़वा #शिक्षा_संगठन : महिला कर्मियों के विशेष आकस्मिक अवकाश में प्रस्तावित संशोधन का विरोध।

गढ़वा जिले में झारोटेफ ने महिला शिक्षिकाओं और कर्मचारियों के विशेष आकस्मिक अवकाश में संशोधन प्रस्ताव का विरोध किया। संगठन ने राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। महिला कर्मियों और संगठन का कहना है कि संशोधन सेवा संहिता और वित्त विभाग के नियमों के खिलाफ है और इससे कर्मचारियों के अधिकारों पर असर पड़ेगा। डीईओ गढ़वा के हालिया फैसलों से भी विरोध बढ़ा है।

Join News देखो WhatsApp Channel
  • स्थान: गढ़वा, झारखंड।
  • संगठन: झारखंड शिक्षक एवं कर्मचारी संघ (झारोटेफ)।
  • विरोध का कारण: महिला कर्मियों के विशेष आकस्मिक अवकाश में प्रस्तावित सीमितता।
  • नियम: प्रत्येक माह दो लगातार कार्यदिवस का विशेष आकस्मिक अवकाश, पेंशन गणना में शामिल।
  • महिला कर्मियों की राय: पारिवारिक जिम्मेदारियों और स्वास्थ्य कारणों से अवकाश आवश्यक।
  • संगठन की चेतावनी: राज्यव्यापी आंदोलन की संभावना।

गढ़वा जिले में महिला शिक्षिकाओं और कर्मचारियों के विशेष आकस्मिक अवकाश में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ झारोटेफ ने विरोध जताया है। संगठन ने बताया कि इस संशोधन से झारखंड सेवा संहिता और वित्त विभाग के पुराने नियमों का उल्लंघन होगा। महिला कर्मियों ने भी इसे असंवेदनशील और अनुचित बताया है।

संशोधन के खिलाफ संगठन का विरोध

झारोटेफ ने कहा कि प्रस्ताव में लर्निंग गैप के नाम पर अवकाश को सीमित या उम्र से जोड़ना गलत है। संगठन के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार ने महिला कर्मियों से अपील की कि वे किसी भी अस्वीकृति की सूचना तुरंत संगठन को दें ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।

नियमों और अवकाश की मुख्य बातें

  • प्रत्येक माह महिला कर्मियों को दो लगातार कार्यदिवसों का विशेष आकस्मिक अवकाश मिलता है।
  • यह अवकाश सामान्य आकस्मिक अवकाश से अलग है और पूरे सेवाकाल में किसी भी तिथि पर लिया जा सकता है।
  • अवकाश का उपयोग पेंशन गणना में भी शामिल होता है।
  • प्रधानाध्यापक या सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृति दी जाती है।
  • सार्वजनिक अवकाश या रविवार के साथ अधिकतम 12 दिन तक जोड़ा जा सकता है।

महिला कर्मियों की प्रतिक्रियाएं

महिला कर्मियों ने कहा कि अवकाश केवल माहवारी तक सीमित नहीं होना चाहिए। नर्स विमला तिग्गा ने बताया कि परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अवकाश जरूरी है। शिक्षिका पूनम भारती ने कहा कि उम्र सीमा को आधार बनाना गलत है क्योंकि स्वास्थ्य समस्याएं लंबी अवधि तक रहती हैं। पुष्पा कुमारी ने कहा कि यह अवकाश कार्य और पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाने में मदद करता है।

झारोटेफ जिलाध्यक्ष सुशील कुमार ने कहा: “महिला कर्मियों के विशेष आकस्मिक अवकाश का हनन सेवा संहिता और वित्त विभाग के नियमों का उल्लंघन है, और हम इसे किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे।”

न्यूज़ देखो: गढ़वा में महिला कर्मियों के अधिकारों की रक्षा के लिए झारोटेफ का विरोध

गढ़वा में महिला कर्मियों के विशेष आकस्मिक अवकाश में संशोधन के विरोध से यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय शिक्षण संगठन कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय हैं। प्रशासन को महिला कर्मियों की आवश्यकताओं और नियमों का सम्मान करना होगा। यह आंदोलन कर्मचारी अधिकार और सरकारी नियमों के पालन पर केंद्रित है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अधिकारों की रक्षा और जागरूकता में बढ़ाएं भागीदारी

सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को चाहिए कि वे अपने संवैधानिक और सेवा अधिकारों के प्रति सजग रहें। अपने अनुभव साझा करें, साथी कर्मचारियों को जागरूक करें और इस खबर को साझा करके आंदोलन और संवाद को मजबूत बनाएं। जागरूक बनें, सक्रिय बनें और अपने हक के लिए आवाज उठाएं।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

20251209_155512
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20251017-WA0018
1000264265

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: