गढ़वा जिले में सहकारी विकास को गति देने और समाज के अंतिम पायदान तक सहकारिता की पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उपायुक्त-सह-अध्यक्ष शेखर जमुआर की अध्यक्षता में जिला सहकारी विकास समिति (DCDC) की बैठक आयोजित की गई। यह बैठक जिला निबंधक, सहकारी समितियों के तत्वावधान में सम्पन्न हुई।
बैठक का मुख्य एजेंडा सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण, सशक्तिकरण और नई योजनाओं के क्रियान्वयन पर केंद्रित था। उपायुक्त ने सहकारिता आंदोलन को सुदृढ़ बनाने के लिए पंचायत स्तर तक समितियों के गठन और उनके सशक्तिकरण पर जोर दिया।
बैठक के मुख्य एजेंडे:
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस पोर्टल पर प्रविष्टि: सभी सहकारी समितियों की नियमित और समय पर जानकारी अपलोड करना।
- पैक्स का कंप्यूटराइजेशन: डिजिटल ट्रांजैक्शन और कार्यक्षमता में सुधार के लिए सभी पैक्स को डिजिटलीकरण की प्रक्रिया में लाना।
- राष्ट्रीय स्तर की समितियों से संबद्धता: BBSSL, NCOL और NCEL जैसी संस्थाओं से सहकारी समितियों को जोड़ा जाना।
- NCCF पोर्टल पर निबंधन: सहकारी समितियों को नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन के पोर्टल पर पंजीकृत कराना।
- दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति गठन: जिले की सभी पंचायतों में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के गठन हेतु आवश्यक कार्रवाई।
- ग्रेन स्टोरेज योजना: “वर्ल्ड्स लार्जेस्ट ग्रेन स्टोरेज योजना” के तहत गोदाम निर्माण के संबंध में निर्णय।
- पैक्स को जन औषधि केंद्र बनाना: प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के रूप में पैक्स की भूमिका तय करना।
- प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र: पैक्स में इस योजना का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- जल जीवन मिशन: ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप जल आपूर्ति योजनाओं के संचालन और रखरखाव का कार्य पैक्स को सौंपना।
- नई सहकारी समितियों का पंजीकरण: पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना।
- कॉमन सर्विस सेंटर (CSC): सभी पैक्स को CSC के रूप में विकसित करना।
- सौर ऊर्जा चालित कोल्ड स्टोरेज: सहकारी समितियों में सौर ऊर्जा चालित कोल्ड रूम का निर्माण।
- जन वितरण प्रणाली (PDS): पैक्स में जन वितरण प्रणाली की दुकानें खोलना।
- मत्स्य सहकारी समिति का गठन: सभी पंचायतों में मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना।
- कार्यशील पूंजी उपलब्धता: सहकारी समितियों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराना।
नए निर्देश और सहकारिता आंदोलन का सुदृढ़ीकरण
उपायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि जिले में दुग्ध उत्पादक, मत्स्य सहकारी समितियों या जिला सहकारी बैंकों का गठन नहीं हुआ है, तो व्यवहारिक मूल्यांकन के आधार पर उनका गठन किया जाए। संबंधित प्रस्ताव को DCDC के समक्ष प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया गया।
प्रस्तावित योजनाओं का क्रियान्वयन
बैठक में निर्णय लिया गया कि जिन पंचायतों में सहकारी समितियों का गठन नहीं हुआ है, वहां नई बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा। साथ ही, वर्तमान कार्यरत समितियों को मजबूत करने के लिए भारत सरकार की योजनाओं का समायोजन (Convergence) किया जाएगा।
निष्कर्ष:
बैठक के दौरान सभी सहकारी समितियों को तकनीकी और संरचनात्मक रूप से सशक्त बनाने पर जोर दिया गया। उपायुक्त ने सहकारिता आंदोलन को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने और इसे एक मजबूत आर्थिक माध्यम बनाने का संकल्प व्यक्त किया।