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गढ़वा जिला स्थापना दिवस पर संगोष्ठी, ‘सपनों का गढ़वा’ पर रखे गए विचार

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#गढ़वा – जिले के विकास और भविष्य को लेकर प्रबुद्धजनों ने साझा किए विचार

  • गढ़वा जिला स्थापना दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन।
  • जिले के प्रबुद्धजनों ने विकास के संस्मरण और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की।
  • शिक्षा, सिंचाई, यातायात और सांस्कृतिक क्षेत्र में और सुधार की जरूरत बताई गई।
  • प्रशासन और समाजसेवियों के सहयोग से जिले को और आगे बढ़ाने का संकल्प।

गढ़वा जिला बनने के साक्षी रहे लोगों ने साझा किए संस्मरण

गढ़वा। मंगलवार को गढ़वा जिला स्थापना दिवस के अवसर पर सदर अनुमंडल कार्यालय सभा कक्ष में ‘सपनों का गढ़वा’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में जिले के प्रबुद्धजनों ने गढ़वा जिले के निर्माण, अब तक हुए बदलावों और भविष्य में अपेक्षित विकास को लेकर अपने विचार साझा किए।

संगोष्ठी की अध्यक्षता अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने की। इसमें डॉ. मुरली श्याम गुप्ता ने कहा कि वे ढिबरी युग में पैदा हुए थे, उस समय लैंपपोस्ट होते थे, लेकिन जिले के गठन के बाद काफी विकास हुआ है। हालांकि, अब भी इसे ट्रैफिक जिला घोषित न किए जाने की पीड़ा बनी हुई है।

समाजसेवी डॉ. यासीन अंसारी ने कहा कि गढ़वा जिला बनने से पहले यहां 90% से अधिक खपरैल मकान थे, जो अब 2% से भी कम रह गए हैं। गढ़वा तेजी से तरक्की कर रहा है और यह सिलसिला जारी रहना चाहिए।

विकास के साथ बढ़ती चुनौतियों पर चिंता

लायन सुशील केसरी ने जलस्तर की गिरावट पर चिंता जताते हुए बालू उठाव रोकने और वृक्षारोपण बढ़ाने की आवश्यकता बताई। शिक्षक अरुण दुबे ने शिक्षा को सर्वोच्च मानव संसाधन बताते हुए जिले में और बेहतर शैक्षिक माहौल बनाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि उनकी छात्रा नम्रता कुमारी गढ़वा की धरती से IAS बनी हैं, जो जिले के लिए गर्व की बात है।

वरिष्ठ पत्रकार नित्यानंद शुक्ला ने कहा कि जब 1 अप्रैल 1991 को गढ़वा जिला बना था, तब यह घोर उग्रवाद से ग्रस्त था। लेकिन अब बिजली की स्थिति बहुत अच्छी हो गई है और साक्षरता दर दोगुनी हो गई है। हालांकि, सिंचाई के क्षेत्र में अपेक्षित विकास नहीं हुआ है।

दयाशंकर गुप्ता ने शासन और नागरिकों की एकजुटता पर जोर देते हुए गोवावल क्षेत्र को ब्लॉक बनाने की मांग उठाई। वहीं, द्वारिका प्रसाद पांडेय ने बताया कि उस समय पूरे क्षेत्र में सिर्फ 8 गाड़ियां चलती थीं, लेकिन अब यातायात की कोई समस्या नहीं है।

सांस्कृतिक और सामाजिक विकास पर विचार

प्रमोद सोनी ने गढ़वा के कला-संस्कृति के विकास पर बात करते हुए संगोष्ठी में अपना गीत “मेरा गढ़वा महान” प्रस्तुत किया। नीरज श्रीधर ने जिले में साहित्यिक मंच की कमी बताते हुए इसे बढ़ावा देने की जरूरत बताई।

अधिवक्ता अशोक पटवा ने शिक्षा के क्षेत्र में और सुधार की आवश्यकता जताई, जबकि इम्तियाज अंसारी ने आपसी एकता बनाए रखने पर जोर दिया। डॉ. लालमोहन मिश्रा ने कहा कि पहले रिक्शा भी मुश्किल से चलता था, लेकिन अब फोरलेन सड़कें बन चुकी हैं, जो विकास की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।

बृजेश पांडेय ने गढ़वा को धार्मिक रूप से संपन्न बताते हुए इसके और विस्तार की आवश्यकता बताई। समाजसेवी शौकत खान ने गढ़वा को समाजसेवियों का गढ़ बताते हुए कहा कि यहां के लोग प्रशासन से पहले खुद ही समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम हैं।

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गढ़वा जिला की स्थापना के बाद से अब तक के सफर पर विचार करते हुए यह संगोष्ठी कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने में सफल रही। शिक्षा, सिंचाई, यातायात और सांस्कृतिक विकास की दिशा में अब भी कई प्रयास किए जाने बाकी हैं। लेकिन गढ़वा की जनता और प्रशासन के सहयोग से यह जिला आने वाले समय में और अधिक तरक्की करेगा।

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