- सरस्वती और दानरो नदियों का होगा पुनर्जीवन।
- नगर परिषद ने शुरू किया निस्तारीकरण कार्य।
- चार करोड़ की लागत से ट्रामा मशीन के जरिए होगी सफाई।
- कचड़े का रिसाइकल कर बनाया जाएगा बिल्डिंग मैटेरियल और खाद।
- छह महीनों में नदियां फिर लौटेंगी अपने मूर्त रूप में।
गढ़वा की प्रमुख नदियां फिर से लौटेंगी अपने स्वरूप में
गढ़वा की सरस्वती और दानरो नदियां, जो कभी शहर की जीवनरेखा मानी जाती थीं, अब दो दशक बाद अपने पुराने रूप में लौटेंगी। वर्षों से इन नदियों में शहर का कचरा डंप किया जा रहा था, जिससे उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया था। अब नगर परिषद ने इनकी सफाई और पुनर्जीवन की योजना बनाई है।
कचड़े का होगा रिसाइकल, बनेगा बिल्डिंग मैटेरियल और खाद
नगर परिषद ने चार करोड़ की लागत से एक कंपनी को नदियों की सफाई का ठेका दिया है। इस प्रक्रिया में नदी से निकले कचड़े को रिसाइकल कर उससे बिल्डिंग मैटेरियल, खाद और मिट्टी तैयार की जाएगी, जिससे नगर परिषद के लिए आय का जरिया भी बनेगा।
कभी इन नदियों में बहती थी कल-कल धारा
करीब 25 वर्ष पहले, सरस्वती और दानरो नदियों में सालभर तेज धार में पानी बहता था, जिसकी आवाजें आसपास के घरों तक सुनाई पड़ती थीं। लेकिन अतिक्रमण और नगर परिषद द्वारा कचरा डंपिंग के कारण इन नदियों का अस्तित्व खतरे में आ गया।
जर्मनी से आ रही ‘ट्रामा मशीन’ करेगी सफाई
नगर परिषद ने ‘ट्रामा मशीन’ नामक आधुनिक उपकरण का उपयोग करने की योजना बनाई है, जो जर्मनी से आ रही है। यह मशीन कचरे को अलग कर उसे रिसाइकल करेगी, जिससे नदियों को उनका मूल स्वरूप लौटाने में मदद मिलेगी।
छह महीनों में नदियां फिर से होंगी जीवंत
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि यह कार्य अगले 2-3 दिनों में शुरू होगा और इसे पूरा करने में छह महीने का समय लगेगा। इसके बाद नदियां फिर से अपने प्राकृतिक स्वरूप में लौटेंगी।
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