गढ़वा: लगमा में माघ पूर्णिमा पर भव्य मेला, पांच राज्यों के श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

खजूरी ब्रह्मस्थान में माघ पूर्णिमा पर आस्था का संगम

गढ़वा जिले के लगमा-खजूरी स्थित श्री ब्रह्मस्थान पर बुधवार को माघ पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया गया। यह पारंपरिक मेला श्रद्धा और आस्था का संगम बना, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भक्तों ने श्री ब्रह्मस्थान में पूजा-अर्चना की और भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण किया।

महायज्ञ और धार्मिक अनुष्ठान

विगत नौ दिनों से चल रहे रामचरितमानस नवाह्न परायण महायज्ञ और लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का समापन हवन और ब्रह्मबाबा की महाआरती के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन 55वां महायज्ञ था, जिसमें श्रद्धालुओं ने पूरी आस्था और भक्ति के साथ भाग लिया।

पांच राज्यों से पहुंचे श्रद्धालु

गढ़वा जिले के अलावा पलामू, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। अपनी मन्नत पूरी होने पर भक्तों ने कथा श्रवण किया और ब्रह्मबाबा को जनेऊ, चुनरी, मिट्टी का घोड़ा और नारियल अर्पित कर पूजा-अर्चना की।

भव्य मेले की विशेष व्यवस्थाएँ

श्री ब्रह्म बाबा वर्सिप मैनेजमेंट ट्रस्ट, खजूरी की ओर से मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। ट्रस्ट के स्वयंसेवक लगातार श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे रहे। साथ ही, मेले में उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल और स्वयंसेवकों की विशेष तैनाती की गई थी।

महायज्ञ की पूर्णाहुति और भंडारा

महायज्ञ के अंतिम दिन यज्ञशाला की विशेष परिक्रमा की गई। शाम को आचार्य भोला नाथ पांडे की देखरेख में ब्रह्मबाबा की महाआरती और महाप्रसाद वितरण (भंडारे) का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

खजूरी मेले में भक्तों की श्रद्धा और बच्चों की मस्ती

श्रद्धालुओं ने जहां बाबा के दर्शन किए, वहीं बच्चों ने झूले, मौत का कुआं, ड्रैगन झूला का भरपूर आनंद उठाया। मेले में लगी दुकानों पर श्रद्धालुओं ने खरीदारी भी की। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मेले में सभी सामान सस्ते दर पर मिलते हैं, जिससे हर साल यहां पांच राज्यों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।

इस भव्य आयोजन में इनका रहा विशेष योगदान

इस आयोजन को सफल बनाने में ट्रस्ट अध्यक्ष राजेंद्र दुबे, सचिव श्रीकांत दुबे, कोषाध्यक्ष रमाशंकर ठाकुर सहित अन्य सदस्य जैसे प्रदीप पासवान, संतोष कुमार दुबे, जागेश्वर यादव, जयराम बिंद, द्वारिका पांडेय, राजाराम दुबे, कृपाल दुबे, नंदलाल दुबे, जयकुमार दुबे, अशर्फी चंद्रवंशी, लक्ष्मण दुबे आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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