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गढ़वा में 20 वर्षीय युवती ने की आत्महत्या की कोशिश, गंभीर हालत में हायर सेंटर रेफर

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#गढ़वा #आत्महत्या_का_प्रयास – घरेलू विवाद में नाराज़ होकर युवती ने उठाया खौफनाक कदम, परिजनों ने समय रहते बचाई जान

  • रमना गांव की खुशी कुमारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की कोशिश की
  • पारिवारिक विवाद के बाद उठाया यह खतरनाक कदम
  • रमन CHC और गढ़वा सदर अस्पताल में मिला प्राथमिक उपचार
  • हालत नाजुक देख डॉक्टरों ने किया हायर सेंटर रेफर
  • फांसी के फंदे से उतारकर परिजनों ने समय पर पहुंचाया अस्पताल
  • पूरे गांव में घटना के बाद माहौल गमगीन

नाराज़गी में उठाया आत्मघाती कदम

गढ़वा जिले के रमना गांव की रहने वाली खुशी कुमारी, उम्र लगभग 20 वर्ष, ने रविवार को घरेलू विवाद से क्षुब्ध होकर फांसी लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। घटना के तुरंत बाद घरवालों ने उसे फंदे से उतारकर नजदीकी रमन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पहुंचाया।

परिजनों के अनुसार, घर में किसी पारिवारिक बात को लेकर डांट-फटकार दी गई थी, जिससे दुखी होकर खुशी ने यह खौफनाक कदम उठा लिया।

इलाज के लिए दो अस्पतालों में कराया गया रेफर

रमन CHC में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने युवती की हालत को गंभीर बताया और गढ़वा सदर अस्पताल रेफर कर दिया। सदर अस्पताल में पहुंचने पर चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार देने के बाद उसे हायर सेंटर के लिए फिर से रेफर कर दिया।

“जब तक फांसी से निकाला गया, तब तक खुशी बेहोश थी। तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी हालत अब भी नाजुक बनी हुई है,” — खुशी कुमारी के परिजन

गांव में पसरा मातम, परिजनों में चिंता

घटना के बाद रमना गांव में माहौल गमगीन है। युवती की गंभीर स्थिति और अचानक हुई इस घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। परिवार वाले अब बेहतर इलाज की व्यवस्था में जुटे हुए हैं। लोगों ने भी इस घटना को दुखद बताते हुए मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संवाद को लेकर चिंता जताई है।

न्यूज़ देखो : युवा पीढ़ी की मानसिक सेहत पर हमारी नज़र

न्यूज़ देखो न केवल घटनाओं को रिपोर्ट करता है, बल्कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संवाद और युवाओं की समस्याओं जैसे मुद्दों को भी उजागर करता है। हम हर कदम पर जनता के साथ खड़े हैं, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और सही समाधान मिल सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संवाद की कमी बनी खतरनाक कारण

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि परिवार में संवाद की कमी और भावनात्मक दबाव किस तरह युवाओं को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर सकते हैं। जरूरी है कि हम समय रहते संवाद करें, समझें और साथ दें।

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