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- गढ़वा कन्या विवाह एंड विकास सोसाइटी ने 19 फरवरी को 351 गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह कराया।
- दानरो नदी स्थित छठ घाट मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समा।
- पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा, जेएमएम प्रवक्ता धीरज दुबे और किन्नर समाज की राधा गुरु जैसे गणमान्य अतिथि रहे शामिल।
- सामूहिक विदाई के दौरान पूरा माहौल भावुक, कलाकारों और संस्था के सचिव विकास कुमार माली के छलके आंसू।
- सोसाइटी का संकल्प: हर साल नहीं, हर महीने आयोजित होगा दहेज मुक्त सामूहिक विवाह।
गढ़वा के दानरो नदी स्थित छठ घाट मैदान में गढ़वा कन्या विवाह एंड विकास सोसाइटी के तत्वावधान में 19 फरवरी को 351 गरीब कन्याओं का भव्य सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा, सोसाइटी के सचिव की माता सुगा पति देवी, बिहार से आए मौलाना उमर नूरानी समेत कई गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मुख्य उद्देश्य और योजनाएं
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य दहेज प्रथा का उन्मूलन और गरीब परिवारों की बेटियों के सम्मानपूर्वक विवाह की व्यवस्था करना था। कार्यक्रम के दौरान भोजपुरी संगीत जगत के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी, जिससे माहौल संगीतमय और उत्सवमयी बन गया। जन सैलाब झूम उठा और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा मैदान गूंज उठा।
वरिष्ठ नेताओं के प्रेरणादायक संबोधन
पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा ने अपने संबोधन में कहा, “यह कार्यक्रम गढ़वा के लिए ऐतिहासिक है। अगर समाजसेवी संस्थाएं इसी तरह सामूहिक विवाह कराएं, तो दहेज मुक्त समाज का सपना जरूर पूरा होगा। बेटियों को बोझ समझने की मानसिकता बदलनी होगी।”
जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता धीरज दुबे ने कहा, “351 कन्याओं का एक साथ विवाह कराना यज्ञ से भी बड़ा पुण्य कार्य है। गढ़वा कन्या विवाह एंड विकास सोसाइटी ने इतिहास रच दिया है, और हम इस प्रयास में उनके साथ हैं।”
किन्नर समाज की राधा गुरु ने कहा, “इस तरह के आयोजन से बेटियों के प्रति समाज की सोच बदलेगी। हम तन, मन और धन से संस्था का सहयोग करते रहेंगे।”
दहेज मुक्त समाज की ओर कदम
बिहार से आए मौलाना उमर नूरानी ने कहा, “दहेज लेना और देना पाप है। हमें कसम खानी चाहिए कि ना हम दहेज लेंगे, ना देंगे। तभी बेटियों के साथ हो रहे अत्याचार पर पूर्ण विराम लगेगा।”
स्कूली बच्चों और समाज के लिए योगदान
इस भव्य आयोजन ने पूरे गढ़वा जिले में एक सकारात्मक संदेश दिया कि बेटियां बोझ नहीं, बल्कि परिवार और समाज की शान हैं। सोसाइटी ने यह घोषणा की कि जरूरतमंद परिवारों की बेटियों की पढ़ाई और विवाह का पूरा खर्च संस्था उठाएगी।
विदाई का भावुक क्षण
विवाह संपन्न होने के बाद जब 351 कन्याओं की एक साथ विदाई हुई, तो पूरा माहौल भावुक हो उठा। संस्था के सचिव विकास कुमार माली और बाहर से आए कलाकार भी बहनों की विदाई के दौरान अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। इसके बाद बहनों को डोली में बिठाकर पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदा किया गया।
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