- गढ़वा में अतिक्रमण अभियान के नाम पर गरीब फुटपाथ दुकानदारों को बार-बार उजाड़ा जा रहा है।
- स्थायी और पक्के अतिक्रमण पर प्रशासन की कोई कार्रवाई नहीं होती।
- दानरो नदी के पास बने पक्के भवन और नगर परिषद के शौचालयों पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
- दुकानदारों ने निष्पक्ष दुकान आवंटन और पुनर्वास की मांग की है।
- प्रशासनिक अनदेखी के चलते आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं उजाड़े गए दुकानदार।
अतिक्रमण अभियान और प्रशासनिक रवैया:
गढ़वा: जिले में चलाए जा रहे अतिक्रमण अभियान में गरीब फुटपाथ दुकानदारों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि स्थायी और पक्के अतिक्रमण पर प्रशासन की नजर नहीं पड़ती। फुटपाथ दुकानदारों को पुलिस और कोर्ट का भय दिखाकर हर साल उजाड़ा जाता है, लेकिन उनके पुनर्वास का कोई प्रयास नहीं किया जाता।
दानरो नदी और स्थायी अतिक्रमण:
दानरो नदी स्टैंड के आसपास हर साल फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़ा जाता है, जबकि नदी के किनारे बने स्थायी पक्के भवनों और नगर परिषद द्वारा निर्मित शौचालयों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन की इस दोहरी नीति ने उन्हें बेबस कर दिया है।
दुकानदारों की मांग:
उजाड़े गए दुकानदारों ने मांग की है कि दानरो नदी स्टैंड के पास खाली जमीन पर दुकान बनाकर गरीब कार्डधारी दुकानदारों को निष्पक्ष तरीके से आवंटित किया जाए। इससे उनका जीवकोपार्जन सुचारू रूप से चल सकेगा। दुकानदारों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
प्रशासनिक अनदेखी और आंदोलन की तैयारी:
पिछले कई वर्षों से प्रशासन को इस मुद्दे पर पत्र लिखकर ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उजाड़े गए दुकानदार जल्द ही सर्वसम्मति से आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे और प्रशासन को जवाबदेह ठहराएंगे।
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