गढ़वा में “कॉफी विद एसडीएम” : इस बार साहित्यकारों से होगा संवाद

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साहित्य-संवाद के लिए “कॉफी विद एसडीएम” की खास पहल

गढ़वा के सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार द्वारा शुरू किया गया “कॉफी विद एसडीएम” साप्ताहिक संवाद कार्यक्रम इस बार साहित्य और संस्कृति के पक्षकारों को समर्पित है। अब तक समाज के विभिन्न वर्गों के साथ 19 सफल संवाद कर चुके एसडीएम संजय कुमार ने इस बार गढ़वा अनुमंडल क्षेत्र के साहित्यकारों को आमंत्रित किया है।

यह संवाद बुधवार, 16 अप्रैल को प्रातः 11 बजे सदर अनुमंडल कार्यालय में आयोजित होगा, जिसमें साहित्यकारों को प्रशासनिक मंच से जुड़ने और अपने सुझाव साझा करने का अवसर मिलेगा।

साहित्यकारों की भूमिका पर बोले एसडीएम

एसडीएम संजय कुमार ने कहा:

“गढ़वा क्षेत्र में अच्छे-अच्छे लेखक, कवि, शायर और साहित्य साधक हैं, लेकिन उन्हें मंच की कमी है। प्रशासन से उन्हें कैसे मदद मिल सकती है, इसके लिए यह संवाद ज़रूरी है।”

उन्होंने बताया कि इस बार का कॉफी संवाद साहित्यिक विषयों और गढ़वा के रचनात्मक विकास पर केंद्रित रहेगा। इस दौरान साहित्यकारों की निजी समस्याओं को भी सुना जाएगा और उनके सुझावों पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

कौन आ सकता है इस साहित्यिक संवाद में?

एसडीएम ने अपील की है कि कवि, कवयित्री, लेखक, लेखिका, शायर, कहानीकार, उपन्यासकार जैसे सभी इच्छुक साहित्यकार इस कार्यक्रम में शामिल हों। यह संवाद एक घंटे का अनौपचारिक कार्यक्रम होगा, लेकिन इसका उद्देश्य साहित्य और प्रशासन के बीच सशक्त संवाद स्थापित करना है।

“यह सिर्फ एक कॉफी पीने का कार्यक्रम नहीं, बल्कि रचनात्मक ऊर्जा को सम्मान देने का अवसर है।”
संजय कुमार, एसडीएम गढ़वा

संवाद के माध्यम से हुआ समस्याओं का समाधान

“कॉफी विद एसडीएम” की शुरुआत को अब पांच महीने हो चुके हैं। इस दौरान शिक्षक, व्यवसायी, छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य वर्गों के साथ संवाद करके सैकड़ों स्थानीय समस्याओं का समाधान निकाला गया है। लोगों के बीच यह कार्यक्रम लोकप्रिय जनसंवाद मंच के रूप में उभर रहा है।

न्यूज़ देखो : साहित्य और संवाद से संवरेगा समाज

गढ़वा जैसे छोटे कस्बे में साहित्यिक प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने की यह पहल एक नई दिशा का संकेत है। “कॉफी विद एसडीएम” जैसी योजनाएं न केवल संवाद का माध्यम बनती हैं, बल्कि सृजनशील समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

न्यूज़ देखो के साथ जुड़ें और ऐसे ही प्रेरक प्रयासों से खुद को जोड़ें, क्योंकि बदलाव वहीं से आता है जहाँ संवाद होता है।

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