गढ़वा में केसरवानी वैश्य सभा का भव्य होली मंगल मिलन समारोह सम्पन्न

#Garhwa — रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम और आपसी सौहार्द का अद्भुत संगम

गढ़वा में हुआ भव्य आयोजन

रविवार को गढ़वा के तारा मंडपम, चौधराना बाजार में केसरवानी वैश्य सभा के द्वारा भव्य होली मंगल मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में समाज के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ भाग लिया और एक-दूसरे को होली की बधाइयां दीं। समारोह का शुभारंभ झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने दीप प्रज्वलित कर किया।

फीता काटकर हुई औपचारिक शुरुआत

इसके बाद सभा के अध्यक्ष संतोष केसरी और महिला समाज की पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से फीता काटकर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। सभी उपस्थित लोगों ने महर्षि कश्यप मुनि के चरणों में पुष्प अर्पित कर उनका आशीर्वाद लिया।

मुख्य अतिथि मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा,
“यह आयोजन सिर्फ होली का उत्सव नहीं है, बल्कि आपसी प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है। ‘होली मंगल मिलन’ के नाम ने इसे और भी शुभ बना दिया है। मैं चाहता हूं कि यह आयोजन सभी के लिए मंगलकारी हो।”

एसडीओ ने दी शुभकामनाएं

विशिष्ट अतिथि अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार पांडे ने भी सभी को होली की शुभकामनाएं दीं और कहा —

“पहले भी जब मैं गढ़वा का कार्यपालक पदाधिकारी था, तब भी केसरी समाज के होली समारोह का हिस्सा बना था। आज पुनः यहां शामिल होकर आनंदित हूं। यहां महिलाओं की अधिक उपस्थिति यह दर्शाती है कि होली का रंग सभी पर चढ़ा हुआ है।”

सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां

इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। होली के पारंपरिक गीतों पर लोग झूम उठे और पूरा माहौल रंगों की मस्ती से सराबोर हो गया।

उपस्थित गणमान्य लोग

इस आयोजन में केसरवानी वैश्य सभा के अध्यक्ष संतोष केसरी, निवर्तमान अध्यक्ष पिंकी केसरी, पूर्व अध्यक्ष अनिता दत्त, वार्ड पार्षद मीरा कुमारी, तरुण सभा के अध्यक्ष शुभम कुमार, महामंत्री राजेश केसरी उर्फ मंटू, उपाध्यक्ष रविंद्र केसरी, सदस्य मनोज केसरी, विवेक केसरी, मीना देवी, जूली केसरी, सीमा केसरी, सोनू केसरी, नानू केसरी, हरिद्वार प्रसाद केसरी, दशरथ प्रसाद केसरी, गुरुदत्त केसरी, गणेश केसरी, जयंत केसरी, सुरेंद्र केशरी और बूटन बाबू समेत समाज के कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

न्यूज़ देखो — समाज के मेल-जोल और सांस्कृतिक परंपरा की मिसाल

गढ़वा का यह आयोजन साबित करता है कि त्योहार केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि एक-दूसरे से जुड़ने और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का भी माध्यम है। क्या इस तरह के आयोजनों से सामाजिक एकता और मजबूत होगी? हमें अपनी राय जरूर बताएं।

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