
#गढ़वा #टीबीउन्मूलन – टीबी के संपर्क में आए मरीजों की पहचान और रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किए गए स्वास्थ्य कर्मी
- गढ़वा जिला यक्ष्मा केंद्र में हुआ साईं टेस्ट प्रशिक्षण का आयोजन
- एएनएम, सीएचओ, एसटीएस, एलटी समेत सभी कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
- टीबी के संपर्क में आए लोगों की जांच कर दी जाएगी प्रीवेंटिव थेरेपी
- जिला यक्ष्मा पदाधिकारी और सिविल सर्जन ने प्रशिक्षण को बताया अहम कदम
- जागरूकता, समय पर जांच और इलाज से टीबी उन्मूलन संभव
- कार्यक्रम में डीपीसी, पीपीएम समन्वयक, लेखापाल सहित यक्ष्मा टीम रही मौजूद
जिलेभर से आए कर्मियों को सिखाया गया साईं टेस्ट का महत्व और प्रक्रिया
गढ़वा जिला यक्ष्मा केंद्र के सभागार में सोमवार को आयोजित विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से आए एएनएम, सीएचओ, एसटीएस, एसटीएलएस, एलटी और यक्ष्मा कर्मियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य साईं टेस्ट के सही तरीके से क्रियान्वयन और टीबी उन्मूलन की दिशा में समन्वित प्रयास को बढ़ावा देना था।
इस अवसर पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रामसुंदर सिंह और सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम में एसडीपीएस जितेंद्र कुमार, एसटीएस कन्हैया कुमार और लेबोरेटरी सुपरवाइजर अरविंद कुमार अग्रवाल ने भी सक्रिय सहयोग किया।
पल्मोनरी टीबी के संपर्क में आए लोगों को मिलेगी विशेष जांच सुविधा
डॉ. रामसुंदर सिंह ने बताया:
“टीबी के धनात्मक मरीजों के संपर्क में आए लोगों की जांच कर उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए प्रीवेंटिव थेरेपी दी जाती है। यह टेस्ट उसी दिशा में एक प्रभावी कदम है।”
— डॉ. रामसुंदर सिंह, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी
उन्होंने यह भी बताया कि यह प्रक्रिया यक्ष्मा उन्मूलन लक्ष्य को पाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को इसकी बारीकियों को समझकर कार्यान्वयन करना होगा।
सिविल सर्जन ने बताया – जिले के लिए मिल का पत्थर साबित होगा यह प्रयास
गढ़वा के सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा:
“साईं टेस्ट जिले में टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में एक नया अध्याय है। यह ज़रूरी है कि सभी प्रशिक्षित कर्मी इसे गंभीरता से लागू करें।”
— डॉ. अशोक कुमार, सिविल सर्जन गढ़वा
उन्होंने यह भी जोड़ा कि समय और परिस्थिति के अनुसार स्वास्थ्य कार्यक्रमों में बदलाव लाए जाते हैं और टीबी जैसे रोगों के लिए नई तकनीकों को अपनाना आज की आवश्यकता है।
टीबी से डरने नहीं, जागरूक होकर इलाज कराने की ज़रूरत
प्रशिक्षण के दौरान यह बात जोर देकर कही गई कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है। यदि समय पर जांच हो जाए और दवा नियमित रूप से ली जाए, तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
लोगों को टीबी के सामान्य लक्षणों जैसे—लगातार खांसी, वजन घटना, रात को पसीना आना आदि के प्रति जागरूक होना चाहिए।
साथ ही उन्हें यह जानकारी भी होनी चाहिए कि कहां और कैसे जांच कराई जा सकती है।
डॉ. पुरुषेश्वर मिश्र (डीपीसी यक्ष्मा), पीपीएम समन्वयक मो. नुरुल्लाह अंसारी, लेखापाल निशांत कुमार सिन्हा और एलटी विश्वास कुमार शर्मा समेत पूरा यक्ष्मा स्टाफ इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित रहा।
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टीबी उन्मूलन जैसी सरकारी पहल तब ही सफल हो सकती हैं, जब सभी कर्मी और आम नागरिक मिलकर सजगता से काम करें।
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