
हाइलाइट्स :
- गढ़वा नगर परिषद क्षेत्र में मच्छरों का जबरदस्त प्रकोप
- ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव और प्रभावी फॉगिंग नहीं
- बदलते मौसम के कारण हालात और बिगड़े
- स्वास्थ्य जोखिम और नागरिकों में गहरी नाराजगी
- विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों ने दी चेतावनी और सुझाव
बढ़ते मच्छरों ने लोगों का जीना किया दुश्वार
गढ़वा नगर परिषद क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप दिनोंदिन भयावह होता जा रहा है। शाम होते ही मच्छरों का आतंक इतना बढ़ जाता है कि लोग घरों से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहे हैं। लोगों को ना केवल रात भर मच्छरों से परेशान होना पड़ रहा है बल्कि मच्छरजनित बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है।
नगर परिषद की लापरवाही खुलकर सामने
गढ़वा नगर परिषद की लापरवाही का आलम यह है कि अब तक नालियों और जलजमाव वाले स्थानों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव नहीं हुआ है। हर साल होली से पहले ये काम पूरा कर लिया जाता था, लेकिन इस बार प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। फॉगिंग मशीन तो मंगाई गई है, लेकिन उसका प्रयोग केवल नदी किनारे खुले क्षेत्रों में किया जा रहा है, जहां लोगों की आवाजाही बहुत कम होती है। इससे लोगों में नाराजगी और ज्यादा बढ़ रही है। नगर परिषद को हर वार्ड में एक साथ फॉगिंग मशीन चलाने के साथ-साथ नालियों और जलजमाव वाले क्षेत्रों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करवाने की सख्त आवश्यकता है।
बदलता मौसम बना मुसीबत का कारण
गढ़वा में पिछले कुछ दिनों से मौसम तेजी से बदल रहा है। लगातार गर्मी और उमस के बाद 21 मार्च को तेज बारिश हुई, जिससे कई जगहों पर पानी भर गया। बारिश के बाद फिर से गरम और उमस भरा मौसम लौट आया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मौसम में मच्छर सबसे ज्यादा पनपते हैं और यह मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों को बढ़ावा देता है।
पलामू और गढ़वा में सबसे ज्यादा मलेरिया के केस
नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिज़ीज कंट्रोल के आंकड़ों के अनुसार 2000 से 2024 के बीच सबसे अधिक मलेरिया के केस और मौतें पलामू ज़िले में दर्ज की गईं हैं, जबकि गढ़वा तीसरे स्थान पर है। यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र में मच्छरजनित बीमारियां कितनी गंभीर हैं।
स्थानीय लोगों का आक्रोश और मांगें
वॉर्ड नं. 6 की संगीता देवी कहती हैं, “शाम को खिड़कियां बंद करने के बाद भी घर में मच्छरों का हमला कम नहीं होता। प्रशासन को जल्द कदम उठाना चाहिए।”
वॉर्ड नं. 11 के राजेश कुमार का कहना है, “हर साल होली के पहले ब्लीचिंग और फॉगिंग होती थी, लेकिन इस बार प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली। बीमारियां फैलेंगी तो जिम्मेदार कौन होगा?”
वॉर्ड नं. 4 की कुसुम कुमारी ने बताया, “बारिश के बाद नालियों में पानी भर गया है और मच्छर ही मच्छर हो गए हैं। हमें डर है कि बच्चे बीमार न हो जाएं।”
जनता को भी करनी होगी सतर्कता
सिर्फ नगर परिषद की कार्रवाई का इंतजार करना काफी नहीं होगा। नागरिकों को भी अपने घर और आसपास के इलाकों में साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। घरों में कूलर, पानी की टंकियों, पुराने बर्तनों और गमलों में रुके पानी को नियमित रूप से साफ करें। अगर कहीं पानी जमा है, तो उसमें मिट्टी का तेल या ब्लीचिंग डालें ताकि मच्छर पनप न सकें।
विशेषज्ञों की राय
स्थानीय डॉक्टर डॉ. विजय कुमार का कहना है, “गढ़वा में लगातार बदलते मौसम और जलजमाव से मच्छरजनित रोगों का खतरा बहुत बढ़ गया है। लोग सतर्क रहें और किसी भी बुखार के लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।”
‘न्यूज़ देखो’ की नजर : कब सुधरेगा नगर प्रशासन?
गढ़वा की जनता मच्छरों के आतंक और प्रशासन की लापरवाही के बीच त्रस्त है। हर साल की तरह इस बार भी जिम्मेदार अधिकारियों की सुस्ती और ढिलाई साफ नजर आ रही है। क्या प्रशासन तब जागेगा जब बीमारियां फैलने लगेंगी और अस्पतालों में भीड़ लग जाएगी? क्यों नहीं समय रहते जरूरी कदम उठाए जाते? क्या नगर परिषद की जिम्मेदारी सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रह गई है?
‘न्यूज़ देखो’ इन सवालों को लगातार उठाएगा और नगर परिषद से जवाबदेही की मांग करता रहेगा। हमारी टीम हर वार्ड की स्थिति पर नजर रख रही है और आपकी समस्याओं को आवाज देती रहेगी। अगर आपके इलाके में भी ऐसी ही समस्याएं हैं, तो हमें 9508880399 पर संपर्क करें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नज़र।