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गढ़वा: गुरु पूर्णिमा पर संगीत कला महाविद्यालय में गूंज उठी श्रद्धा की स्वर-लहरियां, राग-भैरवी से शुरू हुई गुरु वंदना

#गढ़वा #गुरुपूर्णिमासंगीत_समारोह : संगीत कला महाविद्यालय में श्रद्धा, संगीत और गुरु भक्ति का अद्भुत संगम — विद्यार्थियों ने भावपूर्ण गुरु वंदना कर निभाई गुरु-शिष्य परंपरा

गुरु-शिष्य परंपरा की अनूठी मिसाल, भावपूर्ण श्रद्धांजलि

गढ़वा स्थित संगीत कला महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धा और संस्कृति का अद्भुत मेल देखने को मिला। विद्यार्थियों ने अपने संगीत गुरु प्रमोद सोनी के चरणों में पुष्प, तिलक और अंगवस्त्र अर्पित कर उन्हें नमन किया। इसके उपरांत राग-भैरवी में प्रस्तुत की गई गुरु वंदना ने वातावरण को गंभीर भक्ति और श्रद्धा से भर दिया

विद्यार्थियों ने बताया गुरु को जीवन की ज्योति

इस अवसर पर छात्रा प्रियंका कुमारी ने कहा कि गुरु वह ज्योति हैं जो अज्ञानता के अंधकार को हटाकर सफलता की ओर मार्गदर्शन करते हैं।

परिधि कुमारी ने कहा कि “गुरु के बिना जीवन पशु तुल्य होता है, सभी धर्म ग्रंथों में गुरु की महिमा का वर्णन मिलता है।”

वहीं छात्र विवेक शर्मा ने भावुक होकर कहा, “जीवन में चाहे जितनी भी उपलब्धियां मिलें, गुरु के सम्मान और आभार से बड़ा कोई धर्म नहीं।”

प्रमोद सोनी के शिष्यों ने बढ़ाया महाविद्यालय का मान

संगीत गुरु प्रमोद सोनी के प्रति छात्रों में अपार श्रद्धा और सम्मान देखने को मिला। उन्होंने कहा कि उनके हजारों शिष्य न केवल झारखंड बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में संगीत के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। कई छात्र सरकारी और निजी संस्थानों में सम्मानजनक पदों पर कार्यरत हैं, जिससे गढ़वा और महाविद्यालय का नाम रोशन हो रहा है।

छात्र-छात्राओं की भागीदारी ने बढ़ाया आयोजन का गौरव

कार्यक्रम में काजल, देवंती, चंचला कुमारी, आराधना, खुशी, रंजीत किशोर, साकेत तिवारी, पूर्णिमा, दीक्षा, रितिक रौशन, जितेंद्र चंद्रवंशी, लालबहादुर सिंह, राहुल कुमार, रौशन कुमार सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। सभी ने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता संगीत और शब्दों के माध्यम से प्रकट की। कार्यक्रम पूरी तरह भावनात्मक और सांस्कृतिक समरसता से परिपूर्ण रहा।

न्यूज़ देखो: परंपरा, श्रद्धा और संगीत की संगमस्थली

गढ़वा के इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि गुरु-शिष्य परंपरा केवल संबंध नहीं, बल्कि आत्मा का बंधन है। संगीत कला महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा पर भावनाओं और रागों का जो संगम हुआ, वह आने वाली पीढ़ियों को भी संस्कार, साधना और सम्मान की प्रेरणा देगा
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

प्रेरणा ही बन सकती है समाज की धड़कन

आइए हम सब मिलकर अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें और अपने बच्चों को भी संस्कृति और श्रद्धा के मूल्यों से जोड़ें। इस प्रेरणादायक आयोजन को अपने मित्रों और परिजनों के साथ साझा करें, ताकि गुरु भक्ति की भावना पूरे समाज में गूंज उठे।

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