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गढ़वा: श्रावण की अंतिम सोमवारी पर सोनपुरवा शिवालय में भक्ति और भंडारे का महापर्व

#गढ़वा #श्रावणसोमवारी : भजन-कीर्तन, श्रृंगार पूजा और विशाल भंडारे से गूंजा मंदिर परिसर

गढ़वा जिले में श्रावण मास की अंतिम सोमवारी के अवसर पर शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। इसी क्रम में सोनपुरवा रेलवे स्टेशन स्थित शिवालय में सोमवार को भक्तिमय वातावरण देखने को मिला। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई और देर रात तक भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण का सिलसिला चलता रहा।

श्रृंगार पूजा और शिव चर्चा से हुआ शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान शिव के श्रृंगार पूजा से हुई। इसके बाद स्थानीय महिलाओं ने श्रीमती माया देवी के नेतृत्व में शिव चर्चा का आयोजन किया। सैकड़ों श्रद्धालु इसमें शामिल हुए और पारंपरिक भजनों तथा मंत्रोच्चार से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

शाम तक गूंजे शिव भजन और नृत्य

श्रृंगार और चर्चा के उपरांत मंदिर में शिव भजनों की मधुर धुन देर शाम तक गूंजती रही। भक्तों ने ढोल-मंजीरे की थाप पर नृत्य किया और ‘बम बम भोले’ के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा। ग्रामीणों ने इसे श्रावण माह का सबसे बड़ा और आनंदमय आयोजन बताया।

विशाल भंडारे में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

भक्ति के साथ-साथ विशाल भंडारे का भी आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य अर्जित किया। प्रसाद वितरण के दौरान मंदिर परिसर भक्तों की लंबी कतारों से भरा रहा। ग्रामीणों ने आयोजन को सामाजिक एकता का प्रतीक बताया।

दौलत सोनी की मौजूदगी से बढ़ा उत्साह

भंडारे के दौरान युवा समाजसेवी दौलत सोनी टीम दौलत के अन्य सदस्यों के साथ मौजूद रहे। उनकी उपस्थिति से श्रद्धालुओं में उत्साह देखने को मिला।

दौलत सोनी ने कहा: “श्रावण का यह पर्व हमें न केवल भक्ति से जोड़ता है बल्कि समाज में एकता और सहयोग का संदेश भी देता है।”

शिव मंडली और स्थानीय युवाओं का योगदान

इस आयोजन को सफल बनाने में शिव मंडली के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इनमें मोहन कुमार चंद्रवंशी, रवि कुमार गोंड (उर्फ भगिना), विनोद ठाकुर, अजीत कुमार हिमांशु, सरोज गुप्ता, अनिमेष कुमार, छोटू ठाकुर, वंश कुमार, गोलू कुमार समेत कई लोगों का योगदान सराहनीय रहा।

न्यूज़ देखो: आस्था और सामाजिक सहभागिता की मिसाल

सोनपुरवा शिवालय में हुआ यह आयोजन बताता है कि भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज को जोड़ने का माध्यम है। धार्मिक आयोजन तभी सफल होते हैं जब लोग मिलकर इन्हें संपन्न करें। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

भक्ति से प्रेरित होकर समाज को जोड़ें

श्रावण की यह अंतिम सोमवारी हमें प्रेम, सहयोग और एकता का संदेश देती है। आइए इस सकारात्मक पहल को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें।

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