
#गढ़वा #शोक_संवेदना : रेड क्रॉस सोसाइटी गढ़वा के पदाधिकारियों ने जायंट्स ग्रुप ऑफ गढ़वा सहेली की अध्यक्ष सुनीता केसरी के निधन पर संवेदना व्यक्त की।
- जायंट्स ग्रुप ऑफ गढ़वा सहेली की अध्यक्ष सुनीता केसरी का आकस्मिक निधन।
- रेड क्रॉस सोसाइटी गढ़वा के पदाधिकारियों ने व्यक्त किया गहरा शोक।
- राकेश बाबू सर्राफ की अर्धांगिनी और रेड क्रॉस की आजीवन सदस्य थीं सुनीता केसरी।
- पिछले दो सप्ताह से चल रहा था इलाज, रांची और हैदराबाद में भी कराया गया उपचार।
- समाज सेवा में जीवनपर्यंत सक्रिय रहीं, पांचवीं बार अध्यक्ष चुनी गई थीं।
- रेड क्रॉस पदाधिकारियों ने परिजनों को बंधाया ढाढ़स।
गढ़वा जिले में सामाजिक और सेवा कार्यों से जुड़े लोगों के लिए एक अत्यंत दुखद समाचार सामने आया है। रेड क्रॉस सोसाइटी गढ़वा की आजीवन सदस्य एवं जायंट्स ग्रुप ऑफ गढ़वा सहेली की अध्यक्ष सुनीता केसरी के आकस्मिक निधन से पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन की सूचना मिलते ही विभिन्न सामाजिक संगठनों और सेवा संस्थाओं से जुड़े लोग गहरे दुःख में डूब गए।
रेड क्रॉस पदाधिकारियों ने जताई गहरी संवेदना
गढ़वा जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के पदाधिकारियों ने दिवंगत सुनीता केसरी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके निवास स्थान पर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की। रेड क्रॉस पदाधिकारियों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की तथा शोक संतप्त परिवार को इस असहनीय पीड़ा से उबरने की शक्ति देने की कामना की।
रेड क्रॉस प्रतिनिधियों ने कहा कि सुनीता केसरी का निधन न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है।
समाज सेवा में जीवनपर्यंत रहीं सक्रिय
स्वर्गीय सुनीता केसरी जायंट्स ग्रुप ऑफ गढ़वा सहेली की पांचवीं बार अध्यक्ष चुनी गई थीं, जो उनके नेतृत्व और सेवा भावना को दर्शाता है। वे अपने जीवन के अंतिम समय तक समाज सेवा से सक्रिय रूप से जुड़ी रहीं। सामाजिक कार्यक्रमों, जरूरतमंदों की सहायता और महिला सशक्तिकरण से जुड़े कार्यों में उनकी भूमिका हमेशा सराहनीय रही।
संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि वे न केवल एक कुशल नेतृत्वकर्ता थीं, बल्कि एक संवेदनशील और कर्मठ समाजसेवी भी थीं, जो हर परिस्थिति में लोगों के साथ खड़ी रहती थीं।
एक कुशल गृहणी और हंसमुख व्यक्तित्व
समाज सेवा के साथ-साथ सुनीता केसरी एक कुशल गृहणी भी थीं। उनका स्वभाव अत्यंत हंसमुख और मिलनसार था, जिसके कारण वे हर किसी के दिल में अपनी जगह बना लेती थीं। परिवार, संगठन और समाज के बीच संतुलन बनाते हुए उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन किया।
उनके व्यक्तित्व की यही विशेषताएं थीं, जिनके कारण उनके जाने से हर वर्ग के लोग खुद को शून्य महसूस कर रहे हैं।
इलाज के दौरान हुआ निधन
परिजनों के अनुसार, स्वर्गीय सुनीता केसरी का पिछले दो सप्ताह से इलाज चल रहा था। बेहतर उपचार के लिए उन्हें रांची और हैदराबाद भी ले जाया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। अंततः काल के गाल में समा जाने से परिवार और समाज को गहरा आघात पहुंचा।
इलाज के दौरान भी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
रेड क्रॉस के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे मौजूद
शोक व्यक्त करने और परिजनों को ढाढ़स बंधाने के लिए रेड क्रॉस सोसाइटी गढ़वा के कई वरिष्ठ पदाधिकारी उनके निवास पर पहुंचे। इनमें प्रमुख रूप से—
- डॉ एम पी गुप्ता, चेयरमैन
- विनोद कमलापुरी, वाइस चेयरमैन
- डॉ ज्वाला प्रसाद सिंह, सचिव
- नंदकुमार गुप्ता, सह सचिव
- रामनारायण प्रसाद, कोषाध्यक्ष
- मनोज केसरी, एक्सक्यूटिव कमेटी सदस्य
- विजय केशरी, एक्सक्यूटिव कमेटी सदस्य
सभी ने एक स्वर में इस अपूरणीय क्षति पर शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की।
सामाजिक संगठनों में शोक की लहर
सुनीता केसरी के निधन की खबर फैलते ही जायंट्स ग्रुप, रेड क्रॉस और अन्य सामाजिक संगठनों में शोक की लहर दौड़ गई। अनेक लोगों ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन सेवा, करुणा और समर्पण का प्रतीक था।
न्यूज़ देखो: सेवा और संवेदना की मिसाल
सुनीता केसरी का जीवन यह दर्शाता है कि समाज सेवा केवल पद या जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सतत भावना है। उनके निधन से सामाजिक संगठनों को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई आसान नहीं है। यह घटना हमें ऐसे समर्पित लोगों के योगदान को समय रहते सम्मान देने की आवश्यकता भी याद दिलाती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
उनकी स्मृतियां रहेंगी प्रेरणा
सुनीता केसरी भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनका सेवा भाव, मुस्कान और सामाजिक योगदान हमेशा लोगों को प्रेरित करता रहेगा। ऐसे व्यक्तित्व समाज को दिशा देते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बनते हैं।
इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवार के साथ अपनी संवेदना साझा करें, इस खबर को आगे बढ़ाएं और समाजसेवा से जुड़े ऐसे निस्वार्थ योगदानों को याद रखें।





