मुख्य बिंदु:
- रमकंडा में आयोजित प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य मेले में मरीजों की अनुपस्थिति रही।
- स्वास्थ्य शिविर में स्वास्थ्य कर्मी और सहियाओं की मौजूदगी रही, लेकिन आम लोग नहीं पहुंचे।
- कार्यक्रम में अतिथियों ने शिविर की उपलब्धियों की जानकारी दी, लेकिन इसे सुनने के लिए कोई आम लोग नहीं थे।
- स्वास्थ्य मेले के प्रचार-प्रसार की कमी के कारण इसकी जानकारी लोगों तक नहीं पहुँच पाई।
रमकंडा: गढ़वा जिले के विभिन्न प्रखंडों में आयोजित किए जा रहे प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य मेले का उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण इन शिविरों में खानापूर्ति हो रही है। शुक्रवार को रमकंडा में आयोजित स्वास्थ्य शिविर भी इसका उदाहरण बना, जहां आम लोग और मरीजों की बजाय स्वास्थ्य सहिया और कर्मियों की उपस्थिति अधिक रही।
स्वास्थ्य मेले का उद्देश्य और निष्कर्ष
स्वास्थ्य मेले का उद्देश्य था कि एक ही स्थान पर लोगों को विभिन्न बीमारियों से संबंधित दवाइयां और चिकित्सीय सलाह दी जाए। लेकिन इस कार्यक्रम में ज्यादातर स्टॉल पर स्वास्थ्य कर्मी ही मौजूद थे, और जिनके लिए यह सुविधा प्रदान की जानी थी, वे कार्यक्रम में नदारद रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि और आयोजन
कार्यक्रम का उद्घाटन रमकंडा थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह कुंटिया, रमकंडा पंचायत की मुखिया रंजू पांडेय, और चिकित्सा पदाधिकारी डा. असजद अंसारी सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने किया। दिलचस्प यह था कि कार्यक्रम के दौरान शिविर की उपलब्धियों और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में अतिथियों द्वारा जानकारी दी गई, लेकिन इन योजनाओं को सुनने के लिए आम लोग शिविर में नहीं पहुंचे।
प्रचार प्रसार की कमी और प्रभाव
स्वास्थ्य मेले का प्रचार प्रसार नहीं किया गया था, जिसके कारण इसकी जानकारी आम लोगों तक नहीं पहुँच पाई। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि उन्हें जो निर्देश मिले थे, उसके अनुसार सभी तैयारी की गई थी, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी ने शिविर की सफलता पर प्रभाव डाला।
स्वास्थ्य शिविरों का उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है, लेकिन यदि प्रचार प्रसार में लापरवाही बरती जाए तो ऐसे शिविरों का असर सीमित रहता है। न्यूज़ देखो के साथ बने रहें और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण खबरों के लिए नियमित अपडेट पाएं।