
#Garhwa — सार्वजनिक मार्ग बाधा पर प्रशासन का सख्त रुख, रोड जाम करने पर होगी कानूनी कार्रवाई:
- सदर अस्पताल के सामने सड़क जाम करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
- ग्रामीणों ने मृतक के पोस्टमार्टम में देरी को लेकर किया था जाम
- एसडीओ ने दी चेतावनी — रोड जाम करना संज्ञेय अपराध
- नेशनल हाईवे ब्लॉक करने पर 5 साल की सजा का प्रावधान
- नागरिकों से अपील — विरोध का रास्ता कानून के भीतर ही चुनें
मामले का विवरण
गढ़वा: रविवार को सदर अस्पताल के सामने सड़क जाम करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ गढ़वा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह जाम उस वक्त लगाया गया जब एक सड़क दुर्घटना में मृत युवक के शव का अविलंब पोस्टमार्टम कराने की मांग को लेकर ग्रामीणों और परिजनों ने मुख्य मार्ग अवरुद्ध कर दिया।
एसडीओ संजय कुमार ने कहा, “सार्वजनिक आवागमन को जानबूझकर बाधित करना दंडनीय अपराध है। विरोध दर्ज कराने के लिए कई वैधानिक और प्रशासनिक विकल्प मौजूद हैं। सड़क जाम कर आम लोगों को परेशानी में डालना अनुचित और कानून के खिलाफ है।“
एसडीओ का सख्त संदेश
एसडीओ संजय कुमार ने स्पष्ट किया कि किसी भी दुर्घटना के बाद रोड जाम करने वाले लोग भी कानून के उल्लंघनकर्ता माने जाएंगे। पिछले महीने भी ऐसे ही एक मामले में कड़ी कार्रवाई की गई थी।
संजय कुमार ने अपील करते हुए कहा, “किसी भी असंतोष की स्थिति में वरीय प्रशासनिक पदाधिकारियों को सूचित करें। लेकिन सड़क जाम न करें, क्योंकि यह गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है।“
राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत सजा का प्रावधान
एसडीओ ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा 8बी के तहत जानबूझकर सड़क जाम करने पर 5 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है। उन्होंने लोगों से सड़क जाम जैसी गैरकानूनी गतिविधियों से दूर रहने की अपील की।
एसडीओ ने जनता से आग्रह करते हुए कहा, “जोश में आकर रोड जाम करने की गतिविधियों में शामिल न हों। यह कदम लेने से विरोध जताने वाला खुद भी कानून का उल्लंघनकर्ता बन जाता है।“
‘न्यूज़ देखो’ — क्या आम लोगों को विरोध के बेहतर और कानूनी तरीकों को अपनाने की जरूरत है?
आपकी क्या राय है? क्या सड़क जाम जैसे कदम सही हैं या अनुशासन में रहकर अपनी बात रखना अधिक प्रभावी है? इस खबर को रेट करें और नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। आपकी राय प्रशासनिक जवाबदेही और सामाजिक जिम्मेदारी तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।