गढ़वा सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में अस्पताल में आयुष चिकित्सकों द्वारा मरीजों का इलाज करने का मामला सामने आया था। अब नई जानकारी के अनुसार, अस्पताल में इंटर पास और कभी-कभी अधूरी शिक्षा वाले लोग विभिन्न तकनीकी पदों पर कार्यरत हैं। ये लोग मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति गंभीर हो गई है।
बिना योग्यता वाले कर्मी, एनजीओ पर सवाल
गढ़वा सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग के तहत एनजीओ वैष्णवी संस्था द्वारा फार्मासिस्ट, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन और ड्रेसर जैसे पदों पर कर्मियों की नियुक्ति की गई है। लेकिन इनमें से कई के पास संबंधित विभाग की योग्यता नहीं है। कुछ कर्मी केवल इंटर पास हैं, जबकि कुछ की शिक्षा मैट्रिक स्तर की भी नहीं है।
लापरवाही से बढ़ रही मौतें
अयोग्य कर्मचारियों की वजह से इलाज में लापरवाही आम हो गई है। यह स्थिति मरीजों के जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रही है। हालात यहां तक बिगड़ चुके हैं कि गलत इलाज और लापरवाही के कारण मरीजों की मौत तक हो रही है।
कंप्यूटर ऑपरेटर भी मैट्रिक पास
अस्पताल में तकनीकी कार्यों की स्थिति और भी चिंताजनक है। मैट्रिक पास लोगों को कंप्यूटर ऑपरेटर बना दिया गया है, जिनको माउस का सही उपयोग भी नहीं पता। यह स्थिति अस्पताल प्रशासन और एनजीओ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
कम मानदेय में काम, कर्मियों का शोषण
एनजीओ द्वारा कर्मचारियों को अत्यधिक कम वेतन पर काम कराया जा रहा है। फार्मासिस्ट और टेक्नीशियनों को मात्र 10,000 से 14,000 रुपये का वेतन दिया जा रहा है, जबकि इस पद पर 18,000 से 20,000 रुपये वेतन होना चाहिए। राज्य सरकार ने हाल ही में आउटसोर्सिंग कर्मियों के वेतन तय करने का फैसला लिया है, लेकिन एनजीओ के नियमों की अनदेखी करते हुए कम योग्यता वाले कर्मियों की बहाली की जा रही है।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर अशोक कुमार ने कहा कि हमारे आने से पहले ही इस संस्था के द्वारा कर्मचारी का बहाल हुआ था। जनवरी से नए एनजीओ संस्था स्वास्थ्य विभाग में काम करेगी।जिसमें कर्मचारियों का देना संस्था का काम है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उसका डिग्री सर्टिफिकेट जांच किया जाएगा। और एक इंटरव्यू लेने के बाद जो भी अभ्यर्थी इंटरव्यू पास करेंगे। उन्हें ही रखा जाएगा।
सरकार और प्रशासन से सवाल
गढ़वा सदर अस्पताल में मरीजों की जान के साथ हो रहे इस खिलवाड़ पर कार्रवाई की मांग उठ रही है। स्थानीय जनता और मरीजों के परिजन इस मामले में सरकारी हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
क्या अयोग्य कर्मियों के भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं छोड़ना सुरक्षित है? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।