
#गढ़वा #नवजात_मौत_मामला #SNCU_गढ़वा — इलाज में लापरवाही या दुर्भाग्य?
- गढ़वा सदर अस्पताल के SNCU वार्ड में 6 दिन के बच्चे की मौत
- मृतक नवजात की मां तिलदाग गांव की बेबी खातून
- परिजनों ने इलाज में लापरवाही का लगाया गंभीर आरोप
- डिलीवरी के वक्त 5 हजार रुपये की मांग का भी दावा
- सिविल सर्जन ने जांच का दिया आश्वासन, हंगामे के बाद स्थिति नियंत्रित
दूध पिलाने के दो घंटे बाद शांत पड़ा नवजात, फिर मिला मृत
गढ़वा सदर अस्पताल के एसएनसीयू (SNCU) वार्ड में सोमवार सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया जब तिलदाग गांव निवासी बेबी खातून के 6 दिन के नवजात की मौत हो गई। मृतक शिशु को उसकी तबीयत बिगड़ने पर SNCU में भर्ती कराया गया था, लेकिन सुबह लगभग 9 बजे परिजनों को वह मृत मिला। इससे पहले सुबह 7 बजे मां ने उसे दूध पिलाया था।
परिजनों का आरोप: चोट के निशान और मांग की गई रिश्वत
परिजनों का कहना है कि इलाज के दौरान बच्चे के हाथ में चोट के निशान भी दिखाई दिए थे और वह लगातार रो रहा था। बावजूद इसके स्टाफ की तरफ से सही ध्यान नहीं दिया गया। यही नहीं, परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि डिलीवरी के समय उनसे 5 हजार रुपये की मांग की गई थी, जो उन्होंने किसी तरह पूरी की।
“बच्चा बार-बार रो रहा था, हाथ में चोट थी… फिर भी ध्यान नहीं दिया गया। जब 9 बजे देखने आए, तो बच्चा शांत था, हमने नर्स को बुलाया, फिर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।”
— मृत नवजात के परिजन

हंगामे से मचा अफरा-तफरी, प्रशासन की भूमिका पर सवाल
बच्चे की मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया। कुछ देर के लिए SNCU वार्ड में अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। वहां मौजूद अन्य मरीजों के परिजनों में भी भय और असंतोष देखने को मिला। परिजनों ने साफ तौर पर इलाज में लापरवाही और पैसे की मांग जैसे गंभीर आरोप लगाए, जिससे अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
सिविल सर्जन ने कहा – “जांच होगी, जल्दबाज़ी में निष्कर्ष नहीं”
इस पूरे मामले में गढ़वा के सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने कहा:
“हमें मामले की जानकारी मिल चुकी है, जांच की जा रही है। अभी कुछ भी कह पाना जल्दबाज़ी होगा। जांच के आधार पर ही अगली कार्रवाई तय की जाएगी।”

न्यूज़ देखो : मासूम की मौत का जवाबदेह कौन?
एक 6 दिन के नवजात की मौत ने न केवल एक मां की गोद सूनी कर दी, बल्कि पूरे अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गहरी चोट की है। अगर लापरवाही साबित होती है, तो दोषियों को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। ‘न्यूज़ देखो’ अपील करता है कि हर नागरिक ऐसे मामलों में सजग रहे और न्याय की मांग के लिए एकजुट हो।
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