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गढ़वा: रक्षाबंधन पर जीएन कॉन्वेंट स्कूल में सावन महोत्सव का आयोजन

#गढ़वा #रक्षाबंधन : भाई-बहन के स्नेह का पर्व रचनात्मक रंगों में सजा

गढ़वा। रक्षाबंधन भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। इस अवसर पर स्थानीय जीएन कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में उत्सव मंच के अंतर्गत सावन मास के समापन की पूर्व संध्या पर बहुआयामी प्रतियोगिता सावन महोत्सव का आयोजन किया गया। विद्यालय परिसर में हुए इस कार्यक्रम में जूनियर विंग (कक्षा 2 से 6) के लिए राखी मेकिंग सह रक्षाबंधन कार्यक्रम तथा सीनियर विंग (कक्षा 6 से 12) के लिए मेहंदी सजाओ प्रतियोगिता, स्वागत गीत, रक्षाबंधन गीत और नृत्य समेत रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं।

विद्यालय में रचनात्मकता और परंपरा का संगम

कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जबकि अभिभावकों ने भी अपनी उपस्थिति और रुचि से माहौल को और उत्साहपूर्ण बना दिया। विद्यालय के निदेशक सह शिक्षाविद मदन प्रसाद केशरी ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, जहां हर महीने विविध उत्सव मनाए जाते हैं। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार, सुरक्षा, समर्पण और त्याग का प्रतीक है। उनका कहना था कि रक्षाबंधन का धागा विश्वास और स्नेह की डोर है, जो भाई को बहन की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने का संकल्प दिलाता है।

प्रतियोगिताओं में छात्रों की चमक

जूनियर विंग में राखी बनाओ-राखी बांधो प्रतियोगिता और सीनियर विंग में मेहंदी सजाओ प्रतियोगिता के साथ स्वागत गीत एवं रक्षाबंधन पर आधारित नृत्य मुख्य आकर्षण रहे। बच्चों के उत्साहपूर्ण प्रदर्शन से माहौल जीवंत बना रहा। कलात्मक दृष्टिकोण से छात्राओं ने अपनी हथेलियों पर मनमोहक मेहंदी डिज़ाइन बनाकर सबका मन मोह लिया।

सम्मान और प्रोत्साहन

उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र और विशेष उपहार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नृत्य शिक्षक सुजीत कुमार, रित्विक कुमार, वीरेंद्र शाह, कृष्ण कुमार, खुर्शीद आलम, मुकेश भारती, विकास कुमार, दिनेश कुमार, नीरा शर्मा, सरिता दुबे, सुनीता कुमारी, नीलम कुमारी, रागिनी कुमारी, चंदा कुमारी, ऋषभ श्रीवास्तव, पूजा प्रकाश, संतोष प्रसाद आदि की भूमिका सराहनीय रही।

न्यूज़ देखो: रचनात्मकता और संस्कृति का संगम

जीएन कॉन्वेंट स्कूल का सावन महोत्सव न केवल परंपराओं को जीवित रखने का प्रयास है, बल्कि बच्चों में रचनात्मकता और सामाजिक जुड़ाव को भी प्रोत्साहित करता है। ऐसे आयोजनों से नई पीढ़ी में सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति गर्व और जिम्मेदारी की भावना पैदा होती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संस्कृति से जुड़ाव ही असली पहचान

त्योहार केवल रस्मों का पालन नहीं, बल्कि समाज में एक-दूसरे के प्रति अपनत्व और सहयोग की भावना को मजबूत करने का माध्यम होते हैं। आइए हम सब मिलकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोएं, बच्चों को इसके महत्व से परिचित कराएं और इस खबर को अपने मित्रों व परिवार के साथ साझा करें।

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