#गढ़वा #मनरेगा_धांधली : आदर गांव के शंभु रजवार और परिवार पर मनरेगा योजना में हेराफेरी का आरोप, डेढ़ साल बाद भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई
- आदर गांव के शंभु रजवार और परिवार का आरोप कि गांव के मुखिया ग्यासुद्दीन अंसारी और पंचायत सचिव ने मनरेगा योजना में हेराफेरी की।
- कूप निर्माण के लिए जिओ टैग और खाता-प्लॉट में गड़बड़ी, राशि अपने परिजनों के खातों में भेजी।
- विरोध करने पर पूरे परिवार के साथ मारपीट, जिसमें गर्भवती बहू भी शामिल थी।
- बरडीहा थाना में एससी/एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी (कांड संख्या 35/2024, दिनांक 7/6/24) दर्ज।
- डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद आरोपियों पर कार्रवाई नहीं, पीड़ित परिवार पर झूठे केस और धमकियां।
- थाना प्रभारी ऋषिकेश कुमार सिंह ने कहा कि चार्जशीट न्यायालय भेज दी गई है, गिरफ्तारी पर कोर्ट ने रोक लगाई है।
गढ़वा जिले के आदर गांव में मनरेगा योजना के तहत कूप निर्माण में कथित हेराफेरी का मामला अब डेढ़ साल से अधिक समय से उलझा हुआ है। शंभु रजवार और उनकी पत्नी दुलरिया देवी का आरोप है कि गांव के मुखिया ग्यासुद्दीन अंसारी और पंचायत सचिव ने उनके अनपढ़ होने का लाभ उठाकर योजना की राशि अपने परिजनों के खातों में भेज दी। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो परिवार के साथ मारपीट की गई और उनकी गर्भवती बहू को भी नहीं बख्शा गया।
प्राथमिकी और आरोपियों की सूची
बरडीहा थाना में इस मामले में कांड संख्या 35/2024 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें आदर गांव के आशिक अंसारी, गुड्डू अंसारी, इशा अंसारी, इश्हाक अंसारी, मुर्तुजा अंसारी, अली अंसारी, इमाम अंसारी, मारू कंसारी सहित 15-20 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया।
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें झूठे केस के माध्यम से दबाव बनाने और केस वापस न लेने के लिए लगातार धमकियां दी जा रही हैं।
पुलिस का बयान
बरडीहा थाना प्रभारी ऋषिकेश कुमार सिंह ने कहा: “मामले में चार्जशीट न्यायालय में भेज दी गई है। कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगी हुई है। निर्देश मिलने पर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि डेढ़ साल से कार्रवाई न होना न्याय प्रक्रिया पर सवाल उठाता है। वहीं पीड़ित परिवार न्याय की उम्मीद में लगातार प्रशासन और पुलिस के पास गुहार लगा रहा है।
न्यूज़ देखो: ग्राम स्तर पर मनरेगा योजना में पारदर्शिता और सुरक्षा की जरूरत
यह मामला यह दिखाता है कि मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बनाए रखना और ग्रामीणों के साथ न्याय सुनिश्चित करना कितना जरूरी है। प्रशासन और न्यायालय को समयबद्ध कार्रवाई से ही लोगों का भरोसा बनाए रखना संभव है।
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