- 76वें गणतंत्र दिवस पर झारखंड के महावीर नायक को पद्मश्री पुरस्कार।
- 60 वर्षों से लोकगीतों को संरक्षित करने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका।
- भिनसरिया राग के राजा के नाम से मशहूर महावीर नायक।
- झारखंड की कला और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में योगदान।
महावीर नायक को कला क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री
रांची के 83 वर्षीय लोकगीत गायक महावीर नायक को केंद्र सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह सम्मान झारखंड की समृद्ध कला और संस्कृति के संरक्षण में उनके विशिष्ट योगदान के लिए दिया गया है। महावीर नायक अब तक 500 से अधिक लोकगीतों की रचना और 1000 से अधिक लोकगीतों का संग्रह कर चुके हैं।
कला के प्रति प्रेरणा
महावीर नायक का जन्म 1942 में हुआ। उनके पिता खुदू नायक झूमर कलाकार थे, जिनसे प्रेरणा लेकर महावीर ने बचपन से ही नागपुरी गीतों में रुचि ली। उन्हें प्रगतिशील गायन शैली के लिए खासतौर पर जाना जाता है।
झारखंड आंदोलन में योगदान
महावीर नायक ने झारखंड अलग राज्य आंदोलन में भी सांस्कृतिक समर्थन दिया। उन्होंने पद्मश्री मुकुंद नायक और मधु मंसुरी हंसमुख के साथ मिलकर सांस्कृतिक आंदोलन में हिस्सा लिया।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर झारखंड की पहचान
महावीर नायक ने पद्मश्री मुकुंद नायक और डॉ. रामदयाल मुंडा के साथ ताइवान जैसे देशों में झारखंड की कला और संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें लोककला रत्न और अमृत अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित सम्मान भी मिल चुके हैं।
महावीर नायक का संदेश
पद्मश्री मिलने पर महावीर नायक ने कहा, “यह सम्मान मेरी कड़ी मेहनत का नतीजा है। यह मुझे झारखंड की कला, संस्कृति और संगीत की रक्षा के लिए प्रेरित करता रहेगा।“
महावीर नायक की इस उपलब्धि ने झारखंड और देश का गौरव बढ़ाया है। उनकी कला ने न केवल लोकगीतों को जीवित रखा है, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है। ऐसी ही प्रेरणादायक खबरों के लिए जुड़े रहें ‘न्यूज़ देखो’ के साथ।