
#रांची #घुरती_रथयात्रा : झारखंड की राजधानी रांची में रविवार को घुरती रथयात्रा के मौके पर भारी बारिश के बीच भी श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था — भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा जी मौसीबाड़ी से नौ दिन बाद मंदिर लौटे।
- 27 जून को भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी गए थे, 7 जुलाई को लौटे
- देवशयनी एकादशी पर हुआ रथयात्रा का समापन
- लाखों श्रद्धालुओं ने रथ खींचकर लिए दर्शन
- मंदिर परिसर में मेला, बच्चों ने झूले और मिक्की माउस का उठाया आनंद
- फूड इंस्पेक्टर ने मेला में की जांच, कई दुकानों में पाई गई मिलावट
रथयात्रा का भावनात्मक समापन, देवशयनी एकादशी पर मंदिर में लौटे महाप्रभु
रांची के भगवान जगन्नाथ मंदिर से 27 जून को रथ पर सवार होकर मौसीबाड़ी गए भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा नौ दिन तक वहां ठहरने के बाद रविवार को देवशयनी एकादशी के अवसर पर वापस मंदिर लौट आए। इस अवसर को घुरती रथयात्रा कहा जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने रथ खींचने और भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त किया।
मूसलधार बारिश भी नहीं रोक सकी श्रद्धा की बाढ़
तेज बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। मंदिर प्रबंधन की ओर से रथ को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी ने भक्तिभाव के साथ भगवान के जयकारे लगाते हुए रथयात्रा में भागीदारी निभाई।
मेले में उमड़ा जनसैलाब, बच्चों ने उठाया झूलों का आनंद
मंदिर परिसर में लगे विशाल मेले में झारखंड सहित अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की और झूले, मिक्की माउस, खिलौनों व मिठाइयों का भरपूर आनंद लिया। बच्चों में विशेष रूप से मेले को लेकर उत्साह देखा गया।
खाद्य सामग्री की जांच, कई दुकानों में मिली गड़बड़ी
जिला फूड इंस्पेक्टर ने मेले में लगे खाद्य स्टॉलों की जांच की। मिठाई और छोले-चाट की कुछ दुकानों में मिलावट पाई गई। इस पर संबंधित दुकानदारों को नोटिस जारी किया गया है और आगे की कार्रवाई की बात कही गई है।
न्यूज़ देखो: श्रद्धा, सुरक्षा और सतर्कता का संगम
रांची में आयोजित घुरती रथयात्रा न सिर्फ आस्था का प्रतीक रही, बल्कि इसमें शामिल प्रशासनिक सतर्कता ने आयोजन को और भरोसेमंद बना दिया। ‘न्यूज़ देखो’ उन लाखों श्रद्धालुओं के आभार प्रकट करता है जिन्होंने अनुशासन और श्रद्धा दोनों का परिचय दिया। साथ ही, फूड विभाग की तत्परता भी प्रशंसनीय है।
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परंपरा में रचें-बसे रहें, पर सुरक्षा भी रखें जरूरी
ऐसे भव्य धार्मिक आयोजनों में हर नागरिक की भागीदारी और सावधानी जरूरी है। आपकी सजगता, दूसरों की सुरक्षा और संस्कृति दोनों को संवार सकती है। इस ख़बर पर अपनी राय कमेंट करें और अपने मित्रों के साथ शेयर करें ताकि श्रद्धा और सतर्कता दोनों साथ चलें।