
#गढ़वा #शोकसभा : दिवंगत आत्मा की शांति के लिए रखा गया दो मिनट का मौन
- जायंट्स ग्रुप गढ़वा के अध्यक्ष राकेश केशरी ने बैठक की अध्यक्षता की।
- सदस्य शौकत खान के पिता के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की गई।
- शोकसभा में दो मिनट का मौन रखकर आत्मा की शांति की प्रार्थना हुई।
- दिवंगत को सरल स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व के लिए याद किया गया।
- सदस्यों ने शोक पत्र देकर परिवार को ढांढस बंधाया।
जायंट्स ग्रुप गढ़वा के सदस्यों ने संगठन के वरिष्ठ सदस्य शौकत खान के पिता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। इस दुखद अवसर पर संगठन के सभी सदस्य एकत्र हुए और उनके परिवार के साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया। दिवंगत को एक सरल, मिलनसार और सच्चे इंसान के रूप में याद किया गया, जिन्होंने अपने जीवन में सभी से प्रेम और सम्मान पाया।
शोकसभा का आयोजन और श्रद्धांजलि
सदस्य नंद कुमार गुप्ता के प्रतिष्ठान में आयोजित इस शोकसभा की अध्यक्षता जायंट्स ग्रुप गढ़वा के अध्यक्ष राकेश केशरी ने की। सभा में उपस्थित सभी सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति और उन्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हो, इसकी ईश्वर से प्रार्थना की। इस दौरान सभी ने दिवंगत के व्यक्तित्व और उनके सहज स्वभाव को याद किया।
संगठन की संवेदना और सहयोग
सभा के बाद जायंट्स परिवार के सभी सदस्य शौकत खान के निवास पर पहुंचे। वहां उन्होंने शोक पत्र सौंपा और परिवार को सांत्वना दी। सदस्यों ने कहा कि दुख की इस घड़ी में पूरा संगठन उनके साथ है और हर संभव सहयोग के लिए तत्पर रहेगा।
प्रमुख सदस्य रहे उपस्थित
इस मौके पर जायंट्स संस्थापक अध्यक्ष अलख नाथ पांडे, सेंट्रल कमिटी सदस्य अजय कांत पाठक, वरिष्ठ सदस्य विजय केशरी, नंद कुमार गुप्ता, दीपक केशरी, अशोक विश्वकर्मा, चंदन चंद्रवंशी, रबीन्द्र केशरी समेत कई सदस्य मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि दिवंगत की स्मृतियां संगठन और समाज में लंबे समय तक जीवित रहेंगी।
न्यूज़ देखो: समाज में संवेदनशीलता और एकजुटता का उदाहरण
जायंट्स ग्रुप गढ़वा की इस शोकसभा ने यह साबित किया कि सामाजिक संगठन केवल सेवा कार्यों में ही नहीं, बल्कि दुख की घड़ी में भी मजबूती से साथ खड़े रहते हैं। यह एकजुटता समाज में आपसी सहयोग और संवेदनशीलता को और मजबूत बनाती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
एकजुटता से बढ़ता है समाज का संबल
दुख और संकट के समय समाज का एकजुट होना ही असली ताकत है। ऐसे अवसर हमें यह सिखाते हैं कि संवेदनशीलता और सहयोग हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। आइए, हम सब मिलकर ऐसे रिश्तों को और मजबूत करें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि संदेश दूर-दूर तक पहुंचे।