- गिरिडीह के प्रसिद्ध लेखक डॉ छोटू प्रसाद ‘चंद्रप्रभ’ के उपन्यास ‘प्रेम ना बाड़ी उपजै’ का भव्य लोकार्पण संपन्न।
- गिरिडीह कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अनुज कुमार, साहित्यकार उदय शंकर उपाध्याय, और प्रो डी के वर्मा समेत अन्य गणमान्य लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
- उपन्यास प्रेम की पवित्र भावना पर आधारित है, जो उम्र, जाति-पांति, और सामाजिक सीमाओं से परे है।
कार्यक्रम का विवरण
गिरिडीह के साहित्यिक जगत के लिए रविवार का दिन खास रहा, जब डॉ छोटू प्रसाद ‘चंद्रप्रभ’ के नए उपन्यास ‘प्रेम ना बाड़ी उपजै’ का लोकार्पण गरिमामय समारोह में किया गया। कार्यक्रम में गिरिडीह कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अनुज कुमार, शिक्षक एवं साहित्यकार उदय शंकर उपाध्याय, बद्री दास, और बीएड कॉलेज के प्रोफेसर डी के वर्मा सहित कई विशिष्ट व्यक्तित्व शामिल हुए।
डॉ छोटू प्रसाद ‘चंद्रप्रभ’ ने उपन्यास के विषय में बताते हुए कहा कि यह प्रेम की उस पवित्र भावना को चित्रित करता है, जो उम्र, ओहदा, जाति-पांति जैसी सीमाओं से परे है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले वे कई पुस्तकें लिख चुके हैं, जिन्हें पाठकों का भरपूर प्यार और सराहना मिली है।
वक्ताओं के विचार
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अनुज कुमार ने लेखक के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए कहा, “डॉ छोटू प्रसाद अनवरत साहित्य सृजन में लगे रहते हैं, जो काबिले तारीफ है। ‘प्रेम ना बाड़ी उपजै’ एक उत्कृष्ट उपन्यास है, जिसमें एक अच्छे उपन्यास के सभी तत्व मौजूद हैं।”
प्रोफेसर डी के वर्मा ने कहा कि “गिरिडीह जैसी छोटी जगह में रहकर भी डॉ छोटू प्रसाद का निरंतर साहित्य सृजन करना उन्हें खास बनाता है।”
साहित्यिक संगोष्ठी में उत्साहपूर्ण माहौल
इस अवसर पर उदय शंकर उपाध्याय, प्रदीप गुप्ता, रितेश सराक, प्रभाकर कुमार, आलोक रंजन, और संजय कुमार सहित कई वक्ताओं ने उपन्यास की प्रशंसा करते हुए अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान पूरे माहौल में साहित्यिक ऊर्जा और सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव किया गया।
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