गिरिडीह हिंसा: बाबूलाल मरांडी ने पुलिसिया बर्बरता पर उठाए सवाल, विकास शाह के जख्मों की तस्वीर जारी

हाइलाइट्स :

बाबूलाल मरांडी ने पुलिसिया बर्बरता की निंदा की

गिरिडीह जिले के घोड़थंबा में 14 मार्च की शाम होली जुलूस के दौरान भड़की हिंसा को लेकर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने विकास शाह नामक व्यक्ति की तस्वीर साझा की, जिसमें उसकी पीठ पर गहरे जख्मों के कई निशान दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर के आधार पर उन्होंने झारखंड सरकार और पुलिस प्रशासन को घेरा और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

“विकास शाह के साथ जो अमानवीय बर्ताव हुआ है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस की बर्बरता लोकतंत्र के लिए खतरा है। दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए, वरना एक-एक जख्म का हिसाब लिया जाएगा।”

  • बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष

पुलिस कार्रवाई को बताया ‘बर्बरता की पराकाष्ठा’

बाबूलाल मरांडी ने पुलिसिया कार्रवाई को ‘बर्बरता की पराकाष्ठा’ करार दिया और सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि विकास शाह एक इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान चलाते हैं और उनका नाम हिंसा से जुड़े FIR में भी दर्ज नहीं है, फिर भी पुलिस ने उनके साथ ऐसा क्रूर व्यवहार किया।

उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया:

“क्या इसी तरह जनता को पुलिस के जुल्म के हवाले छोड़ दिया जाएगा?”

उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में ‘लाठी तंत्र’ की कोई जगह नहीं है और पुलिस के दमनात्मक रवैये को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

गिरिडीह हिंसा: 80 नामजद, 22 गिरफ्तार

14 मार्च को मस्जिद गली से होली जुलूस निकालने को लेकर विवाद के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान भारी पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ हुई।

हिंसा पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने 80 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें 22 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल

खास बात यह है कि जिन 80 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हुई है, उसमें विकास शाह का नाम नहीं है। बावजूद इसके, पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा, जिससे विपक्ष और जनता में आक्रोश है।

बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे को लेकर सरकार और प्रशासन पर तीखा हमला बोला और चेतावनी दी कि यदि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।

‘न्यूज़ देखो’ – हर खबर पर रहेगी हमारी नज़र

गिरिडीह हिंसा के बाद पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं। क्या प्रशासन को निर्दोष लोगों पर अत्याचार करने के बजाय असली दोषियों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? इस मुद्दे पर जनता की राय क्या है? ‘न्यूज़ देखो’ इस मामले से जुड़ी हर अपडेट आपको पहुंचाता रहेगा।

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