#Giridih — टीबी के खिलाफ जागरूकता फैलाने का प्रयास, ग्रामीणों को दी गई जरूरी जानकारी
- नेहरू युवा केंद्र और ज्वाला युवा क्लब के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित
- सीएचओ प्रभात कुमार रंजन ने ग्रामीणों को किया जागरूक
- कर्णपुरा मुखिया राजेन्द्र वर्मा ने बताई टीबी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- लगातार खांसी, वजन घटना और थकान को न करें नजरअंदाज
- समय पर जांच और इलाज से टीबी को किया जा सकता है ठीक
कार्यक्रम का आयोजन और उद्देश्य
गिरिडीह: सोमवार को बिजलीबथान में नेहरू युवा केन्द्र के तत्वावधान में ज्वाला युवा क्लब द्वारा विश्व टीबी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में क्षय रोग (टीबी) को लेकर जागरूकता फैलाना था।
सीएचओ प्रभात कुमार रंजन ने कहा, “24 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोग इस गंभीर बीमारी के प्रति सतर्क रहें और समय रहते इलाज करवा सकें।“
टीबी की जानकारी और इतिहास
कार्यक्रम में कर्णपुरा मुखिया राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि 24 मार्च, 1882 को जर्मन वैज्ञानिक रॉबर्ट कोच ने इस बीमारी के जीवाणु की खोज की थी, जिसने इसके इलाज को आसान बनाने में बड़ा योगदान दिया।
राजेन्द्र वर्मा ने कहा, “टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन यह दवा से पूरी तरह ठीक की जा सकती है।“
लक्षण और उपचार पर जागरूकता
वार्ड सदस्य कैलाश वर्मा ने बताया कि लगातार तीन हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहना, खांसी में खून आना, सीने में दर्द, सांस फूलना, बुखार आना, वजन घटना और थकान महसूस होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने लोगों को नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करने की सलाह दी।
कैलाश वर्मा ने अपील करते हुए कहा, “यदि ये लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराएं और समय पर इलाज लें, ताकि बीमारी को नियंत्रित किया जा सके।“
उपस्थित लोग और आयोजन संचालन
कार्यक्रम का संचालन ज्वाला युवा क्लब के अध्यक्ष रणधीर प्रसाद ज्वाला ने किया। मौके पर बैजनाथ बैजू, शिबू वर्मा, जोगेश्वर वर्मा, राज कुमार वर्मा, पोखन तुरी, कोमल कुमारी, अंशु कुमारी सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे।
‘न्यूज़ देखो’ — क्या ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान को और मजबूत किए जाने की जरूरत है?
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