गिरिडीह के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में धूमधाम से मनाई गई महावीर जयंती

#GiridihNews #MahavirJayanti2025 #JainDharm | भगवान महावीर के विचारों से बच्चों को मिला जीवन में शांति और सत्य का संदेश

भगवान महावीर के जीवन से मिली बच्चों को सीख

गिरीडीह शहर के बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में भगवान महावीर स्वामी जी की 2623वीं जयंती के अवसर पर सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानाचार्य आनंद कमल द्वारा भगवान महावीर की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्प अर्पण से हुई।

प्रधानाचार्य आनंद कमल ने कहा:

“भगवान महावीर का जीवन त्याग, तपस्या, और आत्मसंयम का प्रतीक है। उनके सिद्धांत आज भी बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।”

उन्होंने विद्यार्थियों को भगवान महावीर के जीवन चरित्र से जुड़ी प्रेरक कहानियाँ सुनाईं और बताया कि सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, और क्षमा उनके मुख्य सिद्धांत थे।

विद्यालय परिसर में भक्ति और संस्कृति का संगम

कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने भक्ति गीत, नाट्य प्रस्तुति और भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। बच्चों ने महावीर स्वामी के संदेशों को अपनी प्रस्तुति के माध्यम से सजीव किया।

इस अवसर पर स्कूल में सांप्रदायिक सौहार्द और आत्मअनुशासन पर आधारित गतिविधियों का भी आयोजन हुआ, जिससे छात्र-छात्राएं जैन धर्म के ‘जियो और जीने दो’ सिद्धांत को आत्मसात कर सकें।

महावीर जयंती का ऐतिहासिक महत्व

हर वर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाई जाने वाली महावीर जयंती, जैन समाज के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन भगवान महावीर की प्रतिमाओं का जलाभिषेक, शोभा यात्रा, और प्रवचन का आयोजन देशभर में होता है।

गिरीडीह में हुए इस आयोजन ने न सिर्फ बच्चों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया, बल्कि उनके अंदर नैतिक मूल्यों को जागृत करने का कार्य भी किया।

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भगवान महावीर के सिद्धांत आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। उनके विचारों से हम अपने जीवन को शांति, संयम और सहिष्णुता की ओर मोड़ सकते हैं।

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