Giridih

गिरिडीह के साठीबाद गांव में धूमधाम से मनाया गया सरहुल पर्व, दिया प्रकृति संरक्षण का संदेश

#Giridih — साठीबाद में सरहुल पर्व पर मिलन समारोह, आदिवासी परंपराओं का दिखा अद्भुत संगम

  • साठीबाद गांव में सरहुल पर्व पर सखुआ पेड़ की विधिवत पूजा-अर्चना की गई।
  • नायके और मांझी बाबा ने रीति-रिवाज के साथ पूजा कर दी सरहुल पर्व की शुभकामनाएं
  • कार्यक्रम में हजारों की संख्या में महिला-पुरुषों ने भाग लिया
  • मुखिया सोमल टुडू ने प्रकृति संरक्षण का दिया संदेश।
  • समाज को भाईचारे और मिलजुलकर रहने का आह्वान

गिरिडीह जिले के बेंगाबाद प्रखंड अंतर्गत साठीबाद गांव में सोमवार को सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मिलन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों और आदिवासी समाज के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। नायके बाबा और मांझी बाबा द्वारा परंपरागत आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार सखुआ पेड़ की पूजा-अर्चना की गई और वहां उपस्थित लोगों को सखुआ का फूल देकर शुभकामनाएं दी गईं।

प्रकृति संरक्षण का संदेश

इस कार्यक्रम के दौरान स्थानीय मुखिया सोमल टुडू ने कहा,

“बाह्य पर्व हमें प्रकृति से जुड़े रहने का संदेश देता है। प्रकृति के संरक्षण में हर समाज के लोगों का योगदान जरूरी है।”

वहीं मुखिया प्रतिनिधि सुरेंद्र सोरेन ने कहा,

“प्रकृति के सौंदर्य से झारखंड की अलग पहचान है। यह पर्व हमें भाईचारे और मिलजुलकर रहने की सीख देता है।”

साजिश की परतें और गिरोह की भूमिका

कार्यक्रम में झामुमो नेता नूनूराम किस्कु ने भी अपने विचार रखते हुए कहा,

“आदिवासी समाज के लिए सरहुल महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन पेड़-पौधों की पूजा कर प्रकृति की रक्षा का संकल्प लिया जाता है।”

आयोजनकर्ताओं का योगदान

इस आयोजन के मुख्य संयोजक बाबू जान मुर्मू ने कहा,

“हमारा समाज प्रकृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। पेड़ों में नए फल-फूल और पत्ते आने की खुशी में हम यह पर्व मनाते हैं।”

उपस्थित गणमान्य और जन सहभागिता

कार्यक्रम में मुख्य रूप से मांझी बाबा रमन मुर्मू, पराणिक बाबा थूथु मरांडी, नाइके बाबा मेरु लाल मुर्मू, जोक मांझी मोहन मुर्मू, मंजु मरांडी, शिव चंद मुर्मू, रमेश मरांडी, सुशील मरांडी, सिनु बास्की समेत हजारों ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर प्रकृति संरक्षण और भाईचारे का संदेश फैलाया।

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