- सीसीएल कोलियरी गिरिडीह में 1857 से आर्थिक मजबूती और पहचान का केंद्र रही है।
- कुछ वर्षों से घाटे में चल रही कोलियरी के लिए ओपेनकास्ट माइंस को पर्यावरण मंजूरी मिल चुकी है।
- मंत्री सुदिव्य कुमार और गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने माइंस को दोबारा शुरू करने के प्रयास किए।
- उत्पादन शुरू होने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
- इलाके की आर्थिक स्थिति और पहचान में सुधार की संभावना।
सीसीएल कोलियरी का समृद्ध इतिहास:
गिरिडीह की सीसीएल कोलियरी 1857 से इलाके को आर्थिक मजबूती और पहचान प्रदान करती आई है। यह कोलियरी लंबे समय तक क्षेत्रीय विकास का प्रमुख स्रोत रही है, लेकिन कुछ सालों से घाटे का सामना कर रही थी।
ओपेनकास्ट माइंस को मिली मंजूरी:
अब ओपेनकास्ट माइंस को पर्यावरण मंजूरी मिल चुकी है। दोनों प्रमाण पत्र प्राप्त होते ही उत्पादन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे न केवल कोलियरी को नई जान मिलेगी, बल्कि इलाके में आर्थिक और सामाजिक विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
स्थानीय नेताओं का प्रयास:
माइंस को पुनः शुरू करने के लिए गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार और गांडेय की विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन लगातार प्रबंधन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उनकी कोशिशों से माइंस के दोबारा शुरू होने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
“माइंस के दोबारा शुरू होने से इलाके में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे, जिससे गिरिडीह की सूरत बदलेगी।” – सुदिव्य कुमार, गिरिडीह विधायक
रोजगार और आर्थिक बदलाव:
उत्पादन शुरू होने से इलाके के हजारों लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही, गिरिडीह की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होने की उम्मीद है। यह पहल इलाके के युवाओं के लिए बेहतर भविष्य का संकेत देती है।
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