
हाइलाइट्स:
- गिरिडीह जिले को ‘द इंडियन एक्सप्रेस एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड्स’ में वाटर बॉडीज श्रेणी में सम्मानित किया गया।
- 450 से अधिक जिलों में से कठोर मूल्यांकन के बाद गिरिडीह का चयन।
- नीति आयोग विंडो II के तहत ‘पानी पंचायत’ के माध्यम से जल संरक्षण का मॉडल तैयार किया गया।
- स्थानीय ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने के लिए जल निकायों का पुनर्जीवन और जल संचयन पर दिया गया जोर।
गिरिडीह को राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
झारखंड का गिरिडीह जिला देशभर में जल प्रबंधन के अनुकरणीय प्रयासों के कारण चर्चा में है। जिले को ‘द इंडियन एक्सप्रेस एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवार्ड्स’ में वाटर बॉडीज प्रबंधन के लिए चुना गया है।
इस अवार्ड समारोह के लिए 450 से अधिक जिलों से आवेदन आए थे, जिसके बाद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह की अध्यक्षता वाली प्रतिष्ठित जूरी ने कई दौर की कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद गिरिडीह जिले को यह सम्मान दिया।
जल संरक्षण के लिए गिरिडीह का अनुकरणीय मॉडल
नीति आयोग विंडो II के तहत झारखंड में सबसे पहले गिरिडीह में ‘पानी पंचायत’ का गठन कर जल निकायों के पुनर्जीवन की दिशा में कार्य शुरू किया गया। इस योजना के तहत:
- 67 मॉड्यूल्स में जल पुनर्जीवन का कार्य किया गया।
- तालाबों के जीर्णोद्धार और जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया गया।
- स्थानीय किसानों को तालाबों के पानी से खेती और सब्जी उत्पादन में सहायता मिली।
- बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पौधारोपण को प्रोत्साहित किया गया।
स्थानीय ग्रामीणों को मिला लाभ
गिरिडीह में जल संरक्षण की पारदर्शी और प्रभावी नीति के कारण स्थानीय किसानों और ग्रामीणों को बड़ा लाभ मिला।
- तालाबों के पुनर्जीवन से जल संकट कम हुआ।
- खेती के लिए सिंचाई सुविधाएं बेहतर हुईं।
- जल निकायों के संरक्षण से रोजगार के अवसर बढ़े।
सम्मान समारोह में केंद्रीय मंत्री ने दी बधाई
दिल्ली में आयोजित पुरस्कार समारोह में माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने गिरिडीह जिले को सम्मानित करते हुए जिले के कार्यों की सराहना की और बधाई दी।
‘न्यूज़ देखो’ की नजर विकास कार्यों पर
गिरिडीह का यह सम्मान झारखंड के अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बनेगा?
क्या ‘पानी पंचायत’ का मॉडल पूरे राज्य में लागू किया जाना चाहिए?
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