- गिरिडीह में घेवर का विशेष मांग: मकर संक्रांति के अवसर पर घेवर की विशेष मांग बढ़ जाती है।
- संपूर्ण प्रक्रिया: दूध और मैदा से बनी मिठाई को कोयले की आंच पर धीरे-धीरे पकाया जाता है।
- 40 वर्षों से परंपरा: गिरिडीह के उत्तम और टुनटुन गुप्ता द्वारा 40 वर्षों से घेवर का निर्माण किया जा रहा है।
- स्वाद में शुद्ध देशी घी का असर: इन मिठाइयों में शुद्ध देशी घी का इस्तेमाल होता है।
गिरिडीह में ठंड के मौसम में एक खास मिठाई मिलनी शुरू हो जाती है, जिसे हम घेवर के नाम से जानते हैं। यह मिठाई राजस्थान की प्रसिद्ध मिठाई है, जो खासकर मकर संक्रांति के मौके पर खाई जाती है। इसे बनाने के लिए दूध और मैदे का घोल तैयार किया जाता है और फिर इसे कोयले की आंच पर धीरे-धीरे पकाया जाता है। घेवर के निर्माण में उत्तम गुप्ता और टुनटुन गुप्ता का हाथ है, जो पिछले 40 वर्षों से इस मिठाई को बना रहे हैं।
उत्तम गुप्ता और टुनटुन गुप्ता बताते हैं कि दूध और मैदा के मिश्रण से यह मिठाई तैयार की जाती है और पकने के बाद इसमें ड्राई फ्रूट्स और खोवा डाला जाता है। इसके बाद, शुद्ध देशी घी में पकाए गए घेवर की खासियत उसे और भी स्वादिष्ट बना देती है।
मकर संक्रांति के मौके पर घेवर की विशेष मांग रहती है और स्थानीय लोग इसे दही चूड़ा और तिलकुट के साथ जरूर खाते हैं। यह मिठाई स्वाद में लाजवाब होने के साथ-साथ एक परंपरा का भी हिस्सा बन गई है, जो वर्षों से चली आ रही है।
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