गिरिडीह: गिरिडीह के पत्रकार अमरनाथ सिन्हा पर टोल कर्मियों द्वारा जानलेवा हमला किए जाने से न केवल पत्रकारों बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं में भी गहरा आक्रोश फैल गया है। यह घटना तब घटी जब अमरनाथ सिन्हा टोल प्लाजा पर काम से गुजर रहे थे और उन्हें बेरहमी से हमला किया गया। हमले के बाद पत्रकारों और समाज के विभिन्न वर्गों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
घटना के बाद, नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने शुक्रवार को सदर अस्पताल पहुंचकर घायल पत्रकार अमरनाथ सिन्हा से मुलाकात की और उनके इलाज के बारे में जानकारी ली। मंत्री ने इस हमले की कड़ी निंदा की और आरोपियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई करने की बात कही। इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी शनिवार की सुबह अमरनाथ सिन्हा के घर पहुंचे और हमले की निंदा करते हुए प्रशासन पर दबाव बनाने की बात की।
उन्होंने कहा कि, “यह घटना गंभीर है, और जिला प्रशासन को केवल प्रत्यक्ष दोषियों के खिलाफ नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार सभी व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए।”
इस घटना के बाद, बगोदर विधायक नागेंद्र महतो, धनवार के पूर्व विधायक राजकुमार यादव, संसद प्रतिनिधि दिनेश यादव, और बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अजय सिन्हा जैसे प्रमुख नेताओं ने भी अमरनाथ सिन्हा से मुलाकात की और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। सभी ने एकजुट होकर इस हमले के खिलाफ आवाज उठाई और न्याय की उम्मीद जताई।
पत्रकारों और नेताओं का कहना है कि इस हमले से पत्रकारिता की स्वतंत्रता को चोट पहुंची है, और अगर ऐसे हमलों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो इससे अन्य पत्रकारों के जीवन को भी खतरा हो सकता है। पत्रकारों ने इस घटना को एक सुनियोजित हमला करार देते हुए प्रशासन से त्वरित और कठोर कदम उठाने की मांग की है।
घटना का विवरण:
अमरनाथ सिन्हा, जो कि गिरिडीह जिले के एक प्रमुख पत्रकार हैं, टोल प्लाजा पर काम से गुजर रहे थे, तभी कुछ टोल कर्मियों ने उन पर हमला किया। हमले में सिन्हा को गंभीर चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया। अस्पताल में उनके उपचार के बाद उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। इस हमले को लेकर पुलिस में मामला दर्ज किया गया है, और जांच की प्रक्रिया जारी है।
प्रशासन का रवैया:
घटना के बाद गिरिडीह प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन इस हमले के बाद राजनीतिक और पत्रकारिता जगत में प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। नेताओं और पत्रकारों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत आरोपियों को गिरफ्तार करना चाहिए और इस घटना की गहन जांच करनी चाहिए।
आखिरी शब्द:
पत्रकारों और समाज के विभिन्न वर्गों ने गिरिडीह प्रशासन से सख्त और त्वरित कार्रवाई की उम्मीद जताई है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या देश में पत्रकारिता की स्वतंत्रता सुरक्षित है? क्या पत्रकारों को अपनी आवाज उठाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ेगी? इस घटना के बाद पत्रकारों और आम जनता का यह मानना है कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक पत्रकारिता की स्वतंत्रता को खतरे में माना जाएगा।
इस घटना से यह स्पष्ट है कि पत्रकारों की सुरक्षा और उनके काम के लिए एक ठोस नीति की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न घटें और पत्रकार स्वतंत्र रूप से अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
‘न्यूज देखो’ लगातार ऐसे मामलों पर नजर रखेगा और आपको ताजातरीन अपडेट्स प्रदान करेगा, ताकि आप हर घटना और खबर से जुड़े रहें।