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गिरिडीह कोर्ट का फैसला: विजय यादव की गैर-इरादतन हत्या में पांच दोषी करार, तीन को 10 साल की सजा

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#गिरिडीह #राजधनवार #हत्या_मामला – सालों के संघर्ष के बाद मिला न्याय, मीना देवी की जिद और अदालत के फैसले ने दिलाई न्याय की उम्मीद

  • विजय यादव की हत्या को कोर्ट ने माना गैर इरादतन हत्या
  • प्रयाग, राजेंद्र और वकील यादव को 10 साल की सजा
  • संतोष और रामदेव यादव को 7 साल की कैद की सजा
  • घटना 13 दिसंबर 2018 को सियारी गांव में हुई थी
  • मृतक की मां मीना देवी ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी
  • न्याय पाने के लिए मजदूरी कर लड़ा मुकदमा

सियारी गांव की 2018 की घटना, अब आया न्याय का फैसला

गिरिडीह जिले के धनवार थाना क्षेत्र अंतर्गत सियारी गांव में वर्ष 2018 में हुई विजय कुमार यादव की हत्या मामले में गिरिडीह जिला जज छह प्रीति कुमारी की अदालत ने मंगलवार को पांच दोषियों को सजा सुनाई। अदालत ने हत्या को गैर इरादतन मानते हुए प्रयाग यादव, राजेंद्र यादव और वकील यादव को 10 वर्ष की सजा तथा संतोष यादव और रामदेव यादव को 7 वर्ष की सजा सुनाई है।

मजदूरी करके लड़ी न्याय की लड़ाई

मृतक की मां मीना देवी ने इस मामले में धनवार थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उनका बेटा विजय यादव रांची में काम करता था और घटना के दिन ही घर लौटा था। रात को खाना खाकर वह गांव की ओर निकला, तभी हल्ला सुनाई देने पर मीना देवी मौके पर पहुंची और देखा कि विजय को पांचों आरोपी मिलकर पीट रहे थे

“वह मेरे बेटे को जान से मारने के इरादे से पीट रहे थे, मैंने देखा, लेकिन रोक नहीं सकी,” — मीना देवी (मृतक की मां)

घायल अवस्था में पुलिस उसे सदर अस्पताल लाई, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मामले में अभियोजन पक्ष से अधिवक्ता संजीव कुमार राय ने गवाहों का परीक्षण और बहस की, जबकि बचाव पक्ष से अधिवक्ता चुन्नुकांत ने दलीलें पेश कीं।

फैसले से संतुष्ट परिजन, जनता में न्यायपालिका के प्रति बढ़ा भरोसा

न्यायालय के फैसले के बाद मीना देवी ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भले ही न्याय मिलने में देरी हुई, लेकिन आज उन्हें इंसाफ मिल गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने मेहनत-मजदूरी कर इस केस को लड़ा और हार नहीं मानी। इस फैसले ने जनमानस में न्यायपालिका की साख और भरोसे को मजबूत किया है

न्यूज़ देखो : न्याय के हर संघर्ष में आपके साथ

‘न्यूज़ देखो’ हर उस आवाज को मंच देने के लिए प्रतिबद्ध है जो न्याय के लिए जूझ रही होमीना देवी जैसे साहसी लोगों की कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि सच्चाई की राह कठिन जरूर होती है, लेकिन मंज़िल मिलती जरूर है।
हम आगे भी ऐसे मामलों को आपके सामने लाते रहेंगे—सत्य, न्याय और जनहित की खातिर।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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