Giridih

गिरिडीह: पेड़ों की छांव में नहीं, मौत के साये में सब्जी बेच रहे किसान

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#गिरिडीह #सड़ककिनारेसब्जीबाजार – 21 मई को पेड़ की डाल गिरने से दो महिला सब्जी विक्रेताओं की मौत के बाद भी नहीं चेता प्रशासन, किसान आज भी उसी जगह बेच रहे सब्जी
  • गिरिडीह के पचंबा-टावर चौक पर फोरलेन किनारे सब्जी बेच रहे किसान खतरे में
  • 21 मई को पेड़ गिरने से दो महिला किसानों की मौत, दो अन्य घायल
  • 15 वर्षों से बिना सुरक्षा के फुटपाथ पर सब्जी बेचते हैं ग्रामीण
  • तेज रफ्तार वाहनों और जर्जर पेड़ों से जानमाल का बना रहता है खतरा
  • स्थानीय किसानों ने सुरक्षित और स्थायी सब्जी बाजार की मांग की

जान जोखिम में, फिर भी जारी है संघर्ष

गिरिडीह जिले के पचंबा-टावर चौक फोरलेन के किनारे हर सुबह-शाम दर्जनों किसान सब्जी बेचने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन यह फुटपाथ अब सिर्फ व्यापार का नहीं बल्कि जानलेवा खतरे का अड्डा बन चुका है। 21 मई को यहां लगे पुराने पेड़ की डाल गिरने से दो महिला किसानों की मौत हो गई थी, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

इसके बावजूद न तो पेड़ हटाए गए, न ही विक्रेताओं के लिए कोई वैकल्पिक सुरक्षित जगह तय की गई। किसान अब भी उन्हीं जर्जर पेड़ों के नीचे बैठने को मजबूर हैं।

15 वर्षों से मौत के साये में व्यापार

स्थानीय किसानों का कहना है कि वे पिछले 15 वर्षों से इस स्थान पर सब्जी बेचकर जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर कभी कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की गई। तेज हवाएं चलने पर पेड़ों के गिरने का डर तो बना ही रहता है, साथ ही तेज रफ्तार वाहनों के चलते हर दिन सड़क हादसे की आशंका भी बनी रहती है।

“हमारे पास कोई और जगह नहीं है। मजबूरी में हमें इसी जगह बैठना पड़ता है, जहाँ जान पर खतरा बना रहता है। पेड़ गिरने से पहले भी कई बार हमने प्रशासन को लिखा था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई,”
— एक स्थानीय किसान की पीड़ा।

सुरक्षित बाजार की मांग

किसानों ने जिला प्रशासन से स्पष्ट रूप से मांग की है कि उनके लिए एक स्थायी एवं सुरक्षित सब्जी बाजार की व्यवस्था की जाए, जिससे वे बिना डर के अपनी आजीविका चला सकें। वे चाहते हैं कि न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, बल्कि दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति से पहले समाधान निकाला जाए।

न्यूज़ देखो: जब सिस्टम चुप रहे, तो आवाज़ जनता को उठानी होगी

एक ऐसी जगह जहाँ दो जानें चली गईं, वहाँ सबक न लिया जाना एक गंभीर प्रशासनिक चूक है।
न्यूज़ देखो इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाता है और सवाल करता है —
क्या किसानों की जान की कीमत सब्जी से भी कम हो गई है?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जिम्मेदार समाधान की है दरकार

सब्जी किसान केवल व्यापार नहीं, जीवन की लड़ाई लड़ रहे हैं।
जरूरत है कि हम सब मिलकर इस विषय पर जनदबाव बनाएं, ताकि गिरिडीह में एक सुनियोजित, सुरक्षित और सम्मानजनक सब्जी बाजार का निर्माण हो सके।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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