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पर्यटकों को अपनी ओर खींचेगा गिरिडीह का बायोडायवर्सिटी पार्क, झारखंड में इको-टूरिज्म को मिलेगा नया आयाम

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#गिरिडीह #बायोडायवर्सिटी_पार्क : पीरटांड़ के कठवारा में बन रहा विशाल जैव विविधता पार्क — बच्चों की शिक्षा से लेकर प्राकृतिक सौंदर्य तक का अद्भुत संगम
  • 90 हेक्टेयर में बन रहा पार्क, 2026 की शुरुआत में आम लोगों के लिए खुलेगा
  • गुलाब बगिया, मैगो जोन, नक्षत्र वन, चिल्ड्रेन पार्क जैसी खासियतें
  • 41 जोन में पौधरोपण, हर जोन में लगाए जाएंगे 1000 दुर्लभ पौधे
  • झारखंड सरकार के दूसरे कार्यकाल में शुरू हुआ निर्माण, मंत्री खुद रख रहे हैं निगरानी
  • पार्क के सामने चिड़ियाघर (जू) बनाने की भी योजना, केंद्र से स्वीकृति की प्रक्रिया जारी
  • डीएफओ के अनुसार युद्ध स्तर पर काम, जल्द होगी गिरिडीह की पहचान

प्रकृति, पर्यटन और शिक्षा का अनोखा संगम

गिरिडीह के पीरटांड़ प्रखंड के कठवारा गांव में वन विभाग द्वारा विकसित किया जा रहा जैव विविधता पार्क झारखंड के इको-टूरिज्म को एक नई पहचान देने जा रहा है। बराकर नदी के किनारे फैले इस पार्क का निर्माण 2023 के अंत में शुरू हुआ था और 2026 की शुरुआत में इसे आम जनता के लिए खोले जाने की संभावना है।

90 हेक्टेयर (222.395 एकड़) में फैले इस पार्क की सबसे खास बात इसकी संरचना है, जो पर्यावरण संरक्षण, पर्यटक आकर्षण और बच्चों के वन ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए तैयार की जा रही है।

जैव विविधता की झलक: जानिए क्या-क्या होगा खास

पार्क को 41 जोनों में विभाजित किया गया है, जहां हर जोन में 1000 दुर्लभ प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे। यह न सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि शैक्षिक उपयोग की दृष्टि से भी बेहद लाभकारी होगा।

  • गुलाब बगिया: विभिन्न किस्मों के गुलाबों से भरा बगीचा
  • चिल्ड्रेन पार्क: बच्चों के मनोरंजन के लिए अलग से संरचना
  • मैगो जोन: 70 प्रकार के दुर्लभ आम के पौधे और सालाना मैगो फेस्टिवल की योजना
  • नक्षत्र वन: 27 नक्षत्रों से जुड़े पौधों का रोपण
  • पाम गार्डन और बांस बगिया: विविध प्रजातियों के पाम और बांस के पौधे
  • सीरीज चेक डैम: जल संरक्षण के साथ-साथ जलीय पौधे और मखाना की खेती
  • रेस्टोरेंट: पर्यटकों की सुविधा के लिए विभिन्न हिस्सों में रेस्टोरेंट बनाए जाएंगे

कैसे पहुंचें पार्क तक

यह पार्क गिरिडीह शहर से 14 किमी, मधुबन से 12 किमी, जीटी रोड से 28 किमी, और पारसनाथ स्टेशन से 31 किमी दूर है। चारपहिया वाहन से पहुंचना सबसे उपयुक्त है। पारसनाथ स्टेशन से किराए पर वाहन उपलब्ध हैं और शहर से टोटो व ऑटो की सुविधा भी मौजूद है।

पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार की निगरानी

पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया कि इस पार्क की परिकल्पना हेमंत सोरेन सरकार के पहले कार्यकाल में की गई थी और दूसरे कार्यकाल में इसे अमल में लाया गया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ सैर-सपाटा का स्थान नहीं होगा, बल्कि बच्चों को वन संपदा की जानकारी देने का भी एक केंद्र होगा।

सुदिव्य कुमार, पर्यटन मंत्री ने कहा: “बच्चों को सखुआ, महुआ जैसे पेड़ों की पहचान और उनके उपयोग की जानकारी देना हमारी जिम्मेदारी है। यही सोच इस पार्क के निर्माण की प्रेरणा है।”

चिड़ियाघर की भी तैयारी

बायोडायवर्सिटी पार्क के ठीक सामने एक चिड़ियाघर (जू) भी बनाने की योजना है। इसके लिए वार्षिक योजना में प्रस्ताव शामिल किया गया है और केंद्र सरकार से अनुमति की प्रक्रिया जारी है। इससे न केवल गिरिडीह पर्यटन की दृष्टि से मजबूत होगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

युद्ध स्तर पर चल रहा निर्माण

डीएफओ मनीष तिवारी के अनुसार, पार्क का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है। रेंजर एसके रवि और उनकी टीम दिन-रात काम में जुटी है ताकि इसे जल्द से जल्द जनता को समर्पित किया जा सके।

न्यूज़ देखो: गिरिडीह बनेगा झारखंड का इको-टूरिज्म हब

झारखंड की पहचान हमेशा से उसकी प्राकृतिक संपदा और जंगलों से रही है। गिरिडीह में बन रहा यह बायोडायवर्सिटी पार्क सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि राज्य के इको-टूरिज्म और वन संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। न्यूज़ देखो ऐसे हर प्रयास को मंच देने में विश्वास रखता है, जो पर्यावरण, शिक्षा और पर्यटन के बीच सेतु बनते हैं।
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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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