
#गिरिडीह #प्रशासनिक_मांग : बगोदर विधायक ने भरकट्टा की दूरियों और परेशानियों को सामने रखते हुए सदन में प्रखंड का दर्जा देने की आवश्यकता रखी
- भरकट्टा क्षेत्र बिरनी प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर।
- छोटे प्रशासनिक कार्यों के लिए लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
- विधायक नागेंद्र महतो ने विधानसभा में उठाया मुद्दा।
- अन्य क्षेत्रों में कम पंचायतों के बावजूद मिला प्रखंड का दर्जा।
- भरकट्टा के विकास और सुविधा के लिए प्रखंड गठन की मांग दोहराई गई।
गिरिडीह में सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान बगोदर विधायक नागेंद्र महतो ने भरकट्टा को नया प्रखंड घोषित किए जाने का मुद्दा जोरदार रूप से सदन में उठाया। वर्तमान में भरकट्टा क्षेत्र बिरनी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर है, जिसके कारण स्थानीय लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए बड़ी दूरी तय करनी पड़ती है। इस दूरी के चलते समय, श्रम और खर्च—तीनों का बोझ नागरिकों पर पड़ता है। विधायक ने तर्क दिया कि जब हजारीबाग जिले के टाटीझरिया, दारू और कटकमदाग जैसे क्षेत्रों में कम पंचायतों के बावजूद उन्हें प्रखंड का दर्जा दिया गया है, तो भरकट्टा के लोगों को भी यह सुविधा मिलनी चाहिए। विधायक ने कहा कि यह केवल प्रशासनिक सुविधा का मामला नहीं बल्कि क्षेत्र के विकास का सवाल भी है, इसलिए मांग को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
भरकट्टा क्षेत्र में दूरी और परेशानी की पुरानी समस्या
भरकट्टा के लोग लंबे समय से प्रशासनिक दूरी की चुनौती झेल रहे हैं। 20 किमी की दूरी औसत ग्रामीण परिवार के लिए बड़ी बाधा बन जाती है, विशेषकर तब जब प्रमाण पत्र, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से संबंधित कार्यालयी कार्य या सरकारी लाभ लेने की बात आती है। कई बार लोगों को सिर्फ एक हस्ताक्षर करवाने या कागज जमा करने के लिए पूरा दिन निकालना पड़ता है।
अन्य प्रखंडों का उदाहरण और तुलना
विधायक नागेंद्र महतो ने सदन में स्पष्ट आंकड़े रखते हुए बताया कि—
- टाटीझरिया: सिर्फ 8 पंचायत — फिर भी प्रखंड का दर्जा प्राप्त।
- दारू और कटकमदाग: 9-9 पंचायतें — दोनों को प्रखंड या उप-प्रखंड की सुविधाएँ मिली।
इस तुलना का मुख्य उद्देश्य यह दिखाना था कि भरकट्टा की उपेक्षा अब असंगत लगने लगी है, क्योंकि यहां जनसंख्या, जरूरत और भौगोलिक दूरी तीनों आधार पर प्रखंड का दर्जा देने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं।
विधायक की मांग: क्यों जरूरी है नया प्रखंड?
विधायक के अनुसार भरकट्टा को नया प्रखंड बनाने से—
- स्थानीय लोगों के यातायात का खर्च और समय बचेगा
- सरकारी सेवाओं तक तेज और आसान पहुंच सुनिश्चित होगी
- क्षेत्र में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी
- सरकारी योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन होगा
- विकास कार्यों की गति में तेज़ी आएगी
क्षेत्र की जनभावना और बढ़ती उम्मीदें
भरकट्टा के लोगों के बीच लंबे समय से यह मांग उठती रही है। कई ग्राम सभाओं और सामाजिक मंचों पर इसे प्राथमिकता के तौर पर रखा गया है। विधायक द्वारा सदन में यह विषय उठाने से क्षेत्रवासियों में उम्मीद बढ़ी है कि राज्य सरकार अब इस पर ठोस निर्णय लेगी।
न्यूज़ देखो: प्रशासनिक दूरी कम करने का महत्वपूर्ण सवाल
भरकट्टा को प्रखंड बनाए जाने की मांग केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि बुनियादी प्रशासनिक न्याय का सवाल है। क्षेत्रीय संतुलन, नागरिक सुविधा और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए इस प्रस्ताव पर गंभीर निर्णय की जरूरत है। अगर सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाती है, तो गिरिडीह का यह इलाका विकास की नई राह पर बढ़ सकता है।
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जनता की सुविधा के लिए प्रशासनिक सुधार ज़रूरी
भरकट्टा के लोगों की रोजमर्रा की परेशानियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि विकास केवल योजनाओं से नहीं, बल्कि ज़मीनी बदलाव से आता है। प्रशासन को चाहिए कि वह दूरी, जनसंख्या और वास्तविक जरूरतों को आधार बनाकर नए प्रखंड के गठन जैसे निर्णय ले।
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