#लातेहार #वन_संरक्षण : 2026 ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन को ध्यान में रखते हुए बेतला वन सभागर में वनकर्मियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण
- बेतला वन सभागर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन।
- प्रशिक्षण में नार्थ डिवीज़न के प्रभारी वनपाल एवं वनरक्षी शामिल।
- GIS विशेषज्ञ मनीष बक्शी ने वनकर्मियों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया।
- 2026 के ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन की तैयारी में वनकर्मियों की क्षमता बढ़ाने पर जोर।
बेतला (लातेहार) के वन सभागर में 2026 में होने वाले ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन को सफल बनाने के उद्देश्य से वनकर्मियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में नार्थ डिवीज़न के प्रभारी वनपाल और वनरक्षी शामिल हुए और उन्हें GIS तकनीक के माध्यम से जंगल एवं वन्यजीवों के प्रबंधन का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य और सहभागिता
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वनकर्मियों को GIS तकनीक में दक्ष बनाना और टाइगर एस्टीमेशन के दौरान सटीक डेटा संग्रह की तैयारी करना था। वनकर्मियों ने विभिन्न सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्रों में भाग लिया, जिसमें GIS के उपयोग से वन क्षेत्रों की निगरानी और वन्यजीवों के संरक्षण के तरीकों पर चर्चा की गई।
GIS विशेषज्ञ मनीष बक्शी ने कहा: “इस प्रशिक्षण का लक्ष्य है कि वनकर्मी आधुनिक तकनीक के उपयोग से जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण में अधिक प्रभावी बनें।”
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख वनकर्मी
इस कार्यशाला में संतोष सिंह A, राम कुमार, शशांक शेखर पाण्डेय, मुकेश उरांव, धीरज ऋषि, इमरान अहमद, देवेंद्र देव, अभिषेक कुमार, गुलसन सुरीन, देवपाल भगत, अखिलेश कुमार सिंह सहित अन्य वनकर्मी भी उपस्थित रहे। प्रशिक्षकों ने वनकर्मियों को GIS सॉफ़्टवेयर, डेटा इंट्री और विश्लेषण के व्यावहारिक उपयोग की जानकारी दी।
वन संरक्षण और तैयारी
वन विभाग का कहना है कि इस प्रकार के प्रशिक्षण से न केवल वनकर्मियों की तकनीकी दक्षता बढ़ती है, बल्कि 2026 ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन के लिए तैयार वनकर्मी सटीक और विश्वसनीय डेटा संग्रह कर पाएंगे। यह पहल वन्यजीवों के संरक्षण और क्षेत्रीय इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
न्यूज़ देखो: वन संरक्षण में तकनीकी प्रशिक्षण की अहमियत
यह प्रशिक्षण कार्यशाला दर्शाती है कि वन विभाग आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित कर्मियों के माध्यम से जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण को प्राथमिकता दे रहा है। GIS के जरिए जंगल की निगरानी और आंकड़ों का विश्लेषण वन्यजीवों की सुरक्षा में निर्णायक साबित होगा।
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