#सिमडेगा #नागपुरी_संगीत : लचरागढ़ निवासी गोपाल बारला ने 40 वर्षों से ठेठ नागपुरी गीतों से लोगों का दिल जीता
- गोपाल बारला, लचरागढ़ के नागपुरी गायक और आयुर्वेद विशेषज्ञ।
- पिछले 40 वर्षों से नागपुरी सादरी ठेठ गीत गा कर लोकप्रिय।
- गीत संगीत के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त।
- झारखंड कला केंद्र कुंजवन के सक्रिय सदस्य।
- आधुनिक गीत संगीत के नाम पर भाषा और संस्कृति की अनदेखी पर चिंता व्यक्त।
- ठेठ नागपुरी भाषा और गीत-संगीत को संजोने और संरक्षित करने का संदेश।
बानो, सिमडेगा। लचरागढ़ निवासी गोपाल बारला को नागपुरी ठेठ गीत संगीत के बादशाह के रूप में जाना जाता है। पिछले चार दशकों से वे नागपुरी सादरी ठेठ गीत गाते आ रहे हैं और इस कला के माध्यम से लोगों का दिल जीतते रहे हैं। उनका कहना है कि उनके घर में हमेशा से गीत-संगीत का माहौल रहा। वे अपने दादा के साथ गीत गाते-गाते आधुनिक मंच तक पहुंचे और अपना कला प्रदर्शन जारी रखा।
गोपाल बारला ने अपने गायन और संगीत प्रदर्शन के लिए राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। वे झारखंड कला केंद्र कुंजवन के सक्रिय सदस्य भी हैं और स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लगातार योगदान देते हैं।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल के कई कलाकार आधुनिकता के नाम पर अपनी भाषा और संस्कृति भूल रहे हैं। ठेठ झारखंडी भाषा का अलग महत्व है, लेकिन अब इसे बोलने और संरक्षित करने में लोग पीछे हट रहे हैं। उनका मानना है कि भाषा और संगीत को संजोना हमारी जिम्मेदारी है।
गोपाल बारला ने बताया कि उनकी टीम इस दिशा में कदम बढ़ा चुकी है और ठेठ नागपुरी गीत संगीत को जीवित रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
न्यूज़ देखो: ठेठ नागपुरी गीत-संगीत की धरोहर को बचाने की आवश्यकता
गोपाल बारला का जीवन और संगीत यह दर्शाता है कि हमारी लोकसंस्कृति और भाषा को संरक्षित रखना बेहद जरूरी है। युवा पीढ़ी को ठेठ नागपुरी गीत और बोली की महत्ता समझाने और इसे अपनाने के लिए समाज को सजग रहना चाहिए।
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प्रेरक समापन और जागरूकता
भाषा और संस्कृति हमारी पहचान हैं। ऐसे कलाकारों के प्रयासों से प्रेरणा लेकर हमें ठेठ नागपुरी भाषा और संगीत को संरक्षित करना होगा। युवा पीढ़ी को इस दिशा में जोड़ें, लोककला और संस्कृति का सम्मान करें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने में योगदान दें।