
#गढ़वा #छात्रवृत्ति_संकट : प्रिंस कुमार सिंह ने कहा — सरकार जानबूझकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है
- डेढ़ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी छात्रों को छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली।
- एससी, एसटी, ओबीसी और पिछड़े वर्गों के विद्यार्थी योजना से वंचित।
- अभाविप नेता प्रिंस कुमार सिंह ने सरकार पर लगाया जानबूझकर शिक्षा कमजोर करने का आरोप।
- छात्रों को कर्ज लेकर फीस भरने या परीक्षा से वंचित रहने की नौबत।
- सरकार पर आरोप — कल्याण विभाग की राशि अन्य योजनाओं में खर्च की जा रही है।
गढ़वा के कांडी प्रखंड में आयोजित संवाद के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य प्रिंस कुमार सिंह ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “सरकार सुनियोजित तरीके से शिक्षा व्यवस्था को रसातल में मिलाने का प्रयास कर रही है।” उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष से छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिलने के कारण राज्य के लाखों छात्र आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
छात्रवृत्ति न मिलने से गरीब छात्रों की पढ़ाई पर संकट
प्रिंस कुमार सिंह ने कहा कि यह समस्या सिर्फ ओबीसी वर्ग की नहीं है, बल्कि एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों के छात्र भी इससे प्रभावित हैं। छात्रवृत्ति की राशि जारी नहीं होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई ठप पड़ गई है। उन्होंने कहा कि अभाविप ने राज्य के सभी जिलों में ज्ञापन सौंपकर सरकार से स्कॉलरशिप शीघ्र जारी करने की मांग की है।
प्रिंस कुमार सिंह ने कहा: “गरीब परिवार के छात्रों के लिए पढ़ाई की छात्रवृत्ति ही एक मात्र सहारा है। यदि सरकार यही छीन ले, तो समझा जा सकता है कि उनके भविष्य का क्या होगा।”
उन्होंने बताया कि छात्रवृत्ति नहीं मिलने के कारण कई विद्यार्थी कर्ज लेकर फीस भरने को मजबूर हैं, वहीं कुछ छात्रों को फीस न भर पाने पर परीक्षा में बैठने तक की अनुमति नहीं दी जा रही है।
सरकार पर गंभीर आरोप, शिक्षा निधि के दुरुपयोग का दावा
प्रिंस कुमार सिंह ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया कि कल्याण विभाग की राशि अन्य योजनाओं में खर्च की जा रही है, जबकि गरीब और मेधावी छात्र छात्रवृत्ति के इंतजार में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए केंद्र पर आरोप मढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार युवाओं की सरकार होने का दावा करती है, लेकिन सबसे अधिक उत्पीड़न युवाओं का ही हो रहा है। राज्य सरकार मंईयां सम्मान योजना जैसी योजनाओं में धन खर्च कर रही है, जबकि छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए बजट में कमी दिखाई जा रही है।
शिक्षा व्यवस्था को बचाने की अपील
प्रिंस कुमार सिंह ने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और यदि शीघ्र कदम नहीं उठाया गया तो राज्य में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों की शिक्षा रुक जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर स्कॉलरशिप की राशि तत्काल जारी करे, ताकि विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय न हो।
प्रिंस कुमार सिंह ने कहा: “राज्य सरकार की नीतियाँ गरीबों और युवाओं के खिलाफ हैं। शिक्षा के बिना किसी समाज का विकास संभव नहीं, लेकिन सरकार इसे ही कमजोर करने में लगी है।”
न्यूज़ देखो: शिक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता पर उठे सवाल
छात्रवृत्ति योजना का ठप पड़ जाना राज्य की शिक्षा नीति पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। सरकार यदि गरीब छात्रों की सहायता राशि रोकती है तो यह सीधे तौर पर शिक्षा के अधिकार को प्रभावित करता है। यह समय है कि राज्य सरकार इस विषय को प्राथमिकता दे और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाए।
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