
#लातेहार #ग्रामप्रधानसंघ : पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों की पुनर्स्थापना और सम्मान राशि बढ़ाने की मांग को लेकर सौंपा गया ज्ञापन।
- ग्राम प्रधान संघ महुआडांड़ ने उपायुक्त लातेहार को सात सूत्री मांग पत्र सौंपा।
- सम्मान राशि 3000 रुपये से बढ़ाने और ग्राम प्रधानों के हस्ताक्षर कॉलम जोड़ने की मांग।
- सभी सरकारी योजनाओं में ग्राम प्रधान की पुष्टि अनिवार्य करने की सिफारिश।
- कांजी हाउस निर्माण और भ्रष्टाचार नियंत्रण पर भी दी गई मांगें।
- ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, राज्यपाल और अन्य अधिकारियों को भेजी गई।
लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के ग्राम प्रधान संघ ने मंगलवार, 11 नवंबर को उपायुक्त लातेहार को एक सात सूत्री मांग पत्र सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से ग्राम प्रधानों ने पंचायत व्यवस्था में अपने अधिकारों की बहाली, सम्मान राशि में वृद्धि, और प्रशासनिक प्रक्रिया में अपनी भूमिका को सशक्त करने की मांग की है। संघ ने कहा कि पंचायतों के स्तर पर ग्राम प्रधानों की भूमिका को सम्मानपूर्वक स्थापित करना स्थानीय शासन की मजबूती के लिए आवश्यक है।
पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों की पुनर्स्थापना की मांग
संघ के मांग पत्र में प्रमुख बिंदु यह था कि जाति, निवास एवं आय प्रमाण पत्रों पर ग्राम प्रधानों के हस्ताक्षर के लिए अलग कॉलम जोड़ा जाए ताकि स्थानीय स्तर पर सत्यापन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो सके। साथ ही, ग्राम प्रधानों को मानकी, मुण्डा, डोकलो और सोहरो की तरह नियमित सम्मान राशि दी जाए और इसे वर्तमान ₹3000 से बढ़ाया जाए।
ग्राम प्रधान संघ ने यह भी प्रस्ताव रखा कि सभी सरकारी योजनाओं के प्रमाण पत्रों में ग्राम प्रधान की पुष्टि अनिवार्य की जाए ताकि पंचायत प्रशासन की विश्वसनीयता और जवाबदेही बढ़े।
पंचायत स्तर पर विकास और नियंत्रण की पहल
संघ ने अपने मांग पत्र में यह भी कहा कि पंचायत स्तर पर पशु नियंत्रण हेतु कांजी हाउस का निर्माण आवश्यक है, जिससे आवारा पशुओं की समस्या से ग्रामीणों को राहत मिल सके। साथ ही, प्रखंड स्तर पर कार्यरत सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग भी की गई।
एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह था कि मृत ग्राम प्रधानों के नामों को सूची से हटाकर परंपरागत और नए ग्राम प्रधानों को सूची एवं गजट में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें भी समान रूप से सम्मान राशि और सरकारी पहचान मिल सके।
ग्राम प्रधान संघ के एक प्रतिनिधि तरुण बड़ाक ने कहा: “यदि प्रशासन हमारी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करता है, तो पंचायत व्यवस्था अधिक मजबूत और जवाबदेह बन सकेगी।”
संघ का कहना है कि इन सात सूत्री मांगों को लागू करने से पंचायत प्रशासन और ग्राम स्तर पर विकास कार्यों के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आएगी तथा स्थानीय नेतृत्व को सशक्त किया जा सकेगा।
ज्ञापन की प्रतिलिपि भेजी गई शीर्ष अधिकारियों को
इस दौरान उपायुक्त को सौंपे गए ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, राज्यपाल, अनुमंडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचल अधिकारी महुआडांड़ को भी भेजी गई, ताकि उच्च स्तर पर इस पर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
इस मौके पर तरुण बड़ाक, निर्मल नगेसिया, जोसेफ बैंग, निर्मल खालखौ, रतन नगेसिया, लाज रूस लकड़ा, रॉबर्ट सारस, जोसेफ खलखौ, इंद्रजीत नगेसिया, तरतुइस एक्का, डेनियल बिरजिया, रंजीत बरला सहित अन्य कई ग्राम प्रधान उपस्थित रहे।
न्यूज़ देखो: पंचायत प्रतिनिधियों की आवाज़ को मिलनी चाहिए पहचान
ग्राम प्रधान गांव की शासन व्यवस्था का पहला स्तंभ हैं, लेकिन वर्षों से उन्हें पर्याप्त सम्मान और अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। लातेहार के ग्राम प्रधानों द्वारा उठाई गई यह मांग न सिर्फ उनके अधिकारों की बात करती है, बल्कि पूरे पंचायत ढांचे को सशक्त करने की दिशा में एक गंभीर पहल है। प्रशासन को इन मांगों पर संवेदनशीलता से विचार करना चाहिए ताकि लोकतंत्र की जड़ें गांव स्तर पर और मजबूत हो सकें।
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स्थानीय नेतृत्व का सशक्तिकरण ही विकास की कुंजी
ग्राम प्रधान समाज और प्रशासन के बीच की सबसे मजबूत कड़ी हैं। अगर उन्हें उचित सम्मान, अधिकार और सहयोग मिले तो गांवों की तस्वीर बदल सकती है। अब समय है कि हर नागरिक स्थानीय नेतृत्व को सशक्त बनाने में अपनी भूमिका निभाए।
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