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विशुनपुरा शिव मंदिर में कलश स्थापना का भव्य आयोजन, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

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#विशुनपुरा #धार्मिकआयोजन : वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापना, भक्तिमय माहौल में गूंजे जयकारे
  • प्राचीन शिव मंदिर में हुआ कलश स्थापना समारोह
  • डॉ श्यामलाल प्रसाद गुप्ता ने निभाया पारिवारिक और धार्मिक दायित्व।
  • वैदिक मंत्रोच्चार और हवन के बीच सम्पन्न हुई पूजा-अर्चना।
  • सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया उत्साहपूर्वक भाग।
  • विष्णु मंदिर विकास समिति और स्थानीय व्यापारियों की रही अहम भूमिका।

विशुनपुरा पंचायत के पोखरा चौक स्थित प्राचीन शिव मंदिर में गुरुवार को आयोजित कलश स्थापना समारोह ने पूरे क्षेत्र को भक्ति रस में सराबोर कर दिया। भगवान शिव के जयकारों और वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण गूंज उठा। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि सामुदायिक एकता और परंपरा के संरक्षण का भी संदेश देता रहा।

कलश स्थापना की विधिवत सम्पन्नता

श्री विष्णु मंदिर प्रांगण में स्थित प्राचीन शिव मंदिर के नवनिर्मित शिखर पर कलश स्थापना की गई। यह आयोजन डॉ श्यामलाल प्रसाद गुप्ता, पिता श्री बालचन्द साह द्वारा अपने पारिवारिक एवं धार्मिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए सम्पन्न कराया गया। वैदिक आचार्यों और पंडितों के मार्गदर्शन में पंचामृत स्नान, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और हवन जैसी विधियों के साथ कलश स्थापना संपन्न हुई। मंत्रोच्चार से वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा का संचार हुआ और पूरे मंदिर परिसर को भक्ति भाव से भर दिया।

श्रद्धालुओं का उत्साह

समारोह में क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी पारंपरिक वस्त्रों में सजे थे। भगवान शिव के जयकारों से पूरा इलाका गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन के साथ-साथ पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

आयोजकों और समिति की भूमिका

इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में व्यवसायी संघ अध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता, रामजी प्रसाद गुप्ता, रामलाल गुप्ता, महेन्द्र प्रसाद गुप्ता सहित विष्णु मंदिर विकास समिति के सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा। उनकी मेहनत और समर्पण से ही यह आयोजन सुचारू और गरिमामय तरीके से सम्पन्न हो सका।

न्यूज़ देखो: आस्था और परंपरा का संगम

विशुनपुरा के शिव मंदिर में कलश स्थापना समारोह ने यह साबित किया कि धार्मिक आयोजन केवल पूजा तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे समाज में एकजुटता, सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और परस्पर सहयोग की भावना को भी प्रबल करते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था से जुड़कर मजबूत हो समाज

धार्मिक कार्यक्रम न केवल हमारी संस्कृति को जीवित रखते हैं, बल्कि सामाजिक समरसता का भी माध्यम बनते हैं। अब समय है कि हम सब मिलकर इन परंपराओं को आगे बढ़ाएं और अपनी नई पीढ़ी को भी इनके महत्व से अवगत कराएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को अपने मित्रों व परिवार के साथ शेयर करें ताकि यह सकारात्मक संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचे।

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