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जारी प्रखंड में हाथी भगाओ अभियान का भव्य शुभारंभ

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#गुमला #हाथीआतंक : ग्रामीणों ने वन विभाग की नाकामी पर जताया रोष, ठोस कार्रवाई की मांग
  • जारी प्रखंड के श्रीनगर चटकपुर जोड़ा जाम मैदान में हजारों ग्रामीण एकत्रित हुए।
  • जिला परिषद सदस्य दिलीप बड़ाइक और मुखिया फूलमैत देवी की अध्यक्षता में अभियान का शुभारंभ हुआ।
  • ग्रामीणों ने “वन विभाग हाय-हाय” के नारे लगाकर नाराजगी जताई।
  • बीते 8 वर्षों से हाथियों का आतंक – फसल बर्बादी, घरों की क्षति और जनहानि जारी।
  • वन विभाग पर सिर्फ पटाखा और टॉर्च देकर औपचारिकता निभाने का आरोप।
  • ग्रामीणों ने चेताया – 8 दिनों में कार्रवाई न हुई तो डीएफओ ऑफिस घेराव, सड़क जाम और भूख हड़ताल करेंगे।

हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीण

ग्रामीणों ने बताया कि जारी प्रखंड और आसपास के इलाकों में लगातार हाथियों का आतंक बढ़ रहा है। हाथी खेतों में घुसकर किसानों की फसलें नष्ट कर देते हैं, घरों को तोड़ते हैं और अनाज खा जाते हैं। इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ रहा है।

एक ग्रामीण ने कहा: “रात-दिन दहशत का माहौल है। कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं और अब धैर्य जवाब दे रहा है।”

वन विभाग पर गंभीर आरोप

ग्रामीणों ने कड़ा आरोप लगाया कि वन विभाग सिर्फ दिखावा कर रहा है। विभाग की ओर से केवल दो पटाखे और एक टॉर्च दिए गए हैं, जबकि असली समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

मुखिया फूलमैत देवी ने कहा: “2018 से हाथी हमारे क्षेत्र में तबाही मचा रहे हैं। कई किसानों की जिंदगी उजड़ चुकी है और कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है। वन विभाग सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है।”

आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने एकजुट होकर कहा कि यदि 8 दिनों के भीतर हाथी नहीं भगाए गए, तो वे डीएफओ ऑफिस का घेराव, सड़क जाम, और भूख हड़ताल करेंगे। उनका आरोप है कि यदि किसी का घर या फसल बर्बाद होती है, तो मुआवजा देने में भी विभाग ढिलाई बरतता है

एक किसान नेता ने कहा: “हम अब और इंतजार नहीं करेंगे। ठोस कार्रवाई ही स्वीकार्य है, वरना बड़ा आंदोलन होगा।”

सामूहिक एकजुटता का प्रदर्शन

अभियान में शेरल कुजूर, अनूप तिग्गा, अनमोल टोप्पो, प्रतिभा तिग्गा, विनोद तीर्की, मरियम एक्का सहित करीब 30 गांवों के ग्रामीण शामिल हुए। उन्होंने मिलकर संकल्प लिया कि इस समस्या के समाधान तक वे एकजुट रहेंगे।

न्यूज़ देखो: ग्रामीणों की पीड़ा बनाम विभाग की लापरवाही

जारी प्रखंड का यह आंदोलन सिर्फ हाथियों का आतंक भगाने की मांग नहीं है, बल्कि यह प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही पर भी सीधा सवाल खड़ा करता है। ग्रामीण वर्षों से पीड़ित हैं, लेकिन समाधान नहीं मिल रहा। अब समय है कि सरकार और विभाग त्वरित कदम उठाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जंगलों की शांति तभी संभव, जब इंसान और वन्यजीव का संतुलन कायम हो

ग्रामीणों की आवाज अनसुनी नहीं होनी चाहिए। विभाग को अब औपचारिकता छोड़कर जमीनी स्तर पर काम करना होगा। आप क्या सोचते हैं – हाथी आतंक से निपटने का सबसे बेहतर उपाय क्या हो सकता है? अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक साझा करें।

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