Gumla

गुमला: पीठ पर बच्चे, सिर पर राशन — पथरीले रास्तों से गुजरती वीरभूमि की हो रही उपेक्षा

Join News देखो WhatsApp Channel
#गुमला : मंगरुताला की महिलाएं आज भी पथरीले और जानलेवा जंगल रास्तों से होकर राशन ढोती हैं — विकास की चमक से कोसों दूर
  • महिलाएं पीठ पर बच्चा और सिर पर राशन लेकर पथरीले जंगल रास्तों से चलने को मजबूर
  • गांव में न सड़क, न बिजली, न पीने का पानी — केवल वादे और प्रतीक्षा
  • बरसात में रास्ते दलदल में बदल जाते हैं, फिसल कर घायल होते हैं ग्रामीण
  • जानवरों के गड्ढों से पानी भरते हैं लोग, हैंडपंप और नल तक नहीं
  • बिजली के खंभे लगे हैं, पर आज तक एक भी बल्ब नहीं जला

जानलेवा रास्तों से गुजरती जिंदगियां

गुमला जिले के जारी प्रखंड अंतर्गत जरडा पंचायत के मंगरुताला गांव की महिलाओं को हर महीने राशन लाने के लिए कई किलोमीटर दूर, जंगल के बीच से पथरीले और फिसलन भरे रास्तों से गुजरना पड़ता है।

स्थानीय महिला कर्मिला कुमारी ने कहा: “पीठ पर बच्चा, सिर पर राशन लेकर जब हम इन रास्तों पर चलते हैं तो हर बार जान का खतरा होता है। कई बार गिर जाते हैं, चोट लगती है, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं।”

न सड़क, न बिजली, न स्वास्थ्य सुविधा

गांव में पक्की सड़क नहीं, बिजली के खंभे और तार तो हैं लेकिन एक भी बल्ब नहीं जला। बरसात में पूरा रास्ता कीचड़ और दलदल बन जाता है। गांव तक कोई एंबुलेंस या वाहन नहीं पहुंच सकता।

ग्रामीण तेतरु खेरवार ने बताया: “बरसात में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, बुजुर्ग गिरकर घायल हो जाते हैं।”

जानवरों के गड्ढों से भरते हैं पानी

गांव में नल, टंकी या हैंडपंप नहीं हैं। लोग जानवरों द्वारा खोदे गए गड्ढों से गंदा पानी भरकर पीने को मजबूर हैं। पानी की गंभीर समस्या पर भी अब तक किसी अधिकारी या प्रतिनिधि की नजर नहीं पड़ी।

वीरों की भूमि, लेकिन उपेक्षा की माटी

यह वही प्रखंड है जहां से 1971 युद्ध नायक शहीद लांस नायक अल्बर्ट एक्का और आदिवासी समाजसेवी डॉ. सोना झरिया जैसे महापुरुष निकले। लेकिन उनकी वीरता से जुड़ी भूमि आज भी मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रही है।

एक ग्रामीण ने कहा: “खाने-पीने और भाषणों में तो इसे अल्बर्ट एक्का की धरती कहते हैं, लेकिन यहां की सच्चाई जानने कोई नहीं आता।”

पहले भी उठी थी आवाज़, नहीं आई कोई सुनवाई

मीडिया में एक माह पूर्व मंगरुताला की स्थिति पर रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, लेकिन अब तक न कोई अधिकारी, न जनप्रतिनिधि गांव पहुंचे। लोगों में आक्रोश के साथ गहरी निराशा भी है।

न्यूज़ देखो: पथरीली ज़िंदगी की पीड़ा तक कब पहुंचेगा शासन?

न्यूज़ देखो की टीम यह सवाल बार-बार पूछती है कि वीरों के गांव तक सड़क क्यों नहीं पहुंची? बिजली अब तक क्यों नहीं जली? महिलाएं आज भी जान जोखिम में डालकर राशन क्यों ला रही हैं?
यह केवल विकास की विफलता नहीं, न्याय और संवेदनशीलता की परीक्षा भी है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बदलाव का रास्ता आपकी आवाज़ से होकर गुज़रेगा

इस रिपोर्ट को शेयर करें, सवाल पूछें, और मंगरुताला की आवाज़ को सरकार तक पहुंचाएं।
हमें मिलकर तय करना होगा कि देश के अंतिम गांव तक विकास की रोशनी पहुंचे।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250723-WA0070
1000264265
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250925-WA0154
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Shahjeb Ansari

जारी, गुमला

Related News

Back to top button
error: