#धर्मसमाचार #हरितालिकातीज : भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य व कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति
- 26 अगस्त मंगलवार को होगा हरितालिका तीज व्रत।
- महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रत पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए।
- 27 अगस्त सुबह 05:30 के बाद ब्राह्मण को अन्नदान कर पारण का शुभ मुहूर्त।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत से अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
- पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती को भगवान शिव पति रूप में इसी व्रत के प्रभाव से मिले थे।
भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाला हरितालिका तीज व्रत इस वर्ष 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य एवं श्री विष्णु मंदिर संचालन कमेटी के प्रवक्ता राम निवास तिवारी ने बताया कि यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के साथ-साथ कई स्थानों पर अविवाहित कन्याएं भी करती हैं।
हरितालिका तीज पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से पति की दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना पूरी होती है। वहीं, अविवाहित कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें मनचाहा वर मिलता है।
शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
शास्त्रों के अनुसार हरितालिका व्रत के लिए तृतीया तिथि और हस्त नक्षत्र का संयोग आवश्यक होता है, जो इस वर्ष 26 अगस्त को बन रहा है। तिवारी ने बताया कि यह व्रत प्रदोष व्यापिनी है, इसलिए दिन या रात जब भी समय मिले, पूजा की जा सकती है। हालांकि, रात्रि जागरण कर पूजा करना अधिक उत्तम माना गया है।
पारण का शुभ समय 27 अगस्त सुबह 05:30 बजे के बाद है। उस समय ब्राह्मण को भोजन कराना और दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना शुभ फलदायी होगा।
पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। उन्होंने बारह वर्षों तक अन्न और जल का त्याग कर घोर साधना की। एक समय वे नदी के तट पर गुफा में गईं और वहां रेत से शिवलिंग बनाकर व्रत रखा।
कथा के अनुसार, पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से यह व्रत प्रचलित हुआ और आज भी महिलाएं इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की तरह अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
न्यूज़ देखो: परंपरा और आस्था का प्रतीक
हरितालिका तीज न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि यह स्त्रियों की आस्था, समर्पण और त्याग का प्रतीक है। आधुनिक जीवन में जहां रिश्ते कमजोर हो रहे हैं, ऐसे पर्व परिवार को जोड़ने और वैवाहिक जीवन में विश्वास बढ़ाने का कार्य करते हैं।
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व्रत के माध्यम से परिवार में सुख शांति
अब समय है कि हम इस पर्व से प्रेरणा लेकर अपने रिश्तों में मजबूती और आस्था लाएं। आप भी अपनी राय कॉमेंट करें और इस लेख को दोस्तों व परिवार के साथ साझा करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस सांवली तीज की महिमा को समझ सकें।