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हजारीबाग: अवैध खदान में डूबे तीनों मजदूरों के शव 13 दिन बाद बरामद, ग्रामीणों ने निकाले शव, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

#हजारीबाग #अवैधखननहादसा – 13 दिन बाद मिला अवैध कोयला खदान हादसे का दर्दनाक अंत

खावा नदी की बाढ़ बनी मौत का कारण

हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाना क्षेत्र के खावा नदी के पास एक अवैध कोयला खदान में 21 मई को हुए हादसे में डूबे तीनों मजदूरों के शव 13 दिन बाद मंगलवार को बरामद कर लिए गए। घटना उस समय घटी जब तेज बारिश के कारण खावा नदी में अचानक बाढ़ आ गई और उसका पानी खदान में तेजी से घुस गया। 120 फीट गहराई में काम कर रहे मजदूरों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिला और वे वहीं फंस गए।

रेस्क्यू में प्रशासन रहा असफल, ग्रामीणों ने निकाले शव

घटना के बाद जिला प्रशासन, NDRF और SDRF की टीमें राहत-बचाव कार्य में जुटीं, लेकिन खदान की गहराई और पानी भराव के कारण अभियान सफल नहीं हो सका। NTPC के सहयोग से लगातार पंपिंग कर जल निकासी की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली।

“शव सोमवार की रात पानी कम होने के बाद नजर आए। ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी और खुद ही शवों को बाहर निकाला।”

मृतकों की पहचान और गांव में पसरा मातम

तीनों मजदूरों की पहचान गांव के ही प्रमोद शाह (45), उमेश कुमार (25) और नौशाद अंसारी (25) के रूप में हुई है। शवों को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हजारीबाग भेजा गया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और गांव में गमगीन माहौल बना हुआ है

अवैध खनन पर उठे सवाल, परिजनों की मांग – मिले मुआवजा और नौकरी

स्थानीय लोगों का आरोप है कि अवैध खदान वर्षों से खावा नदी के किनारे चल रही थी, लेकिन प्रशासन ने कभी सख्ती नहीं दिखाई। इस हादसे ने प्रशासनिक उदासीनता को उजागर कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी एजेंसियों की विफलता के बाद ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डालकर शवों को बाहर निकाला।

“सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मरे हुए लोगों के परिवार को मुआवजा और नौकरी मिलनी चाहिए।” – एक स्थानीय ग्रामीण

न्यूज़ देखो: अवैध खनन पर लगाम जरूरी

हर बार हादसे के बाद जांच और मुआवजे की बात होती है, लेकिन जब तक अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, ऐसे हादसे दोहराए जाएंगे। न्यूज़ देखो मानता है कि सरकार को सिर्फ राहत कार्य नहीं, बल्कि ठोस नीति बनाकर अवैध खनन के जाल को तोड़ना होगा

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब नहीं चलेगा लापरवाह सिस्टम

यह हादसा प्रशासन की विफलता और अवैध खनन के गठजोड़ की खौफनाक तस्वीर पेश करता है। अब वक्त आ गया है कि जवाबदेही तय हो और अवैध खदान संचालकों पर सख्त कार्रवाई हो, ताकि फिर किसी गरीब मजदूर की जान इस तरह न जाए।

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